Sirohi सिरोही । जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी ने जिले में खुले या परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबेल में छोटे बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए भू-जल विभाग द्वारा जारी निर्देशों की संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा अक्षरशः पालना करने के निर्देश दिए है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय और केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के सार्वजनिक सूचना के आदेश और माननीय मुख्यमंत्री बजट घोषणा संख्या 32, वित्त वर्ष 2024-25 की अनुपालना के अन्तर्गत खुले या परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबवेल में छोटे बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए निर्देश जारी किए है।
बोरवेल/ट्यूबेल निर्माण के बारे में अग्रिम सूचना देना
भूमि/परिसर के स्वामी को बोरवेल/ट्यूबवेल निर्माण शुरू करने से पहले कम से कम 15 दिन पहले लिखित में सूचना देनी होगी। सूचना क्षेत्र के संबंधित जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट, ग्राम पंचायत के सरपंच/भूजल विभाग/जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग/नगर निगम के अधिकारियों जैसा भी मामला हो, को प्रस्तुत की जानी है। सूचना को डीओआईटी जीओआर द्वारा विकसित राजधारा पोर्टल पर भी अपलोड किया जाना है।
ड्रिलिंग एजेंसी का पंजीकरण
सभी ड्रिलिंग एजेंसियों सरकारी/अर्द्धसरकारी, निजी आदि को अनिवार्य रूप से डीओआईटी जीओआर द्वारा विकसित राजधारा पोर्टल पर ड्रिलिंग रिग का पंजीकरण कराना होगा। उन्हें अपने द्वारा ड्रिल किए गए सभी बोरवेल/ट्यूबवेल का विवरण (डाटाबेस) रखना होगा और पोर्टल पर इनकी जानकारी (जीपीएस आधारित लोकेशन सहित) दर्ज करनी होगी।
निर्माण के दौरान सुरक्षा उपाय
निर्माण के समय नलकूप के पास नलकूप के निर्माण/पुनर्वास करने वाली ड्रिलिंग एजेंसी तथा उपयोगकर्ता एजेंसी/मालिक के नाम पते के विवरण का साइन बोर्ड लगाना होगा। निर्माण के दौरान कांटेदार तार की बाड़ लगाना/अन्य कोई अवरोधक दीवार का निर्माण करना। कार्य पूरा होने के बाद गड्ढ़ों और चैनलों को मिट्टी की परत से भरना। मिट्टी, रेत, पत्थर, कंकड एवं ड्रिलिंग कटिंग द्वारा परित्यक्त किए गए बोरवेल को भरना होगा। किसी विशेष स्थान पर ड्रिलिंग कार्य पूरा होने पर, ड्रिलिंग शुरू होने से पहले की स्थिति में जमीन को बहाल किया जाना चाहिए।
सीमेंट का प्लेटफार्म निर्माण एवं बोरवेल की कैपिंग करना
नलकूप के चारों तरफ सीमेंट कंक्रीट के एक प्लेटफार्म का निर्माण किया जाएगा, जिसकी साइज 0.50 ग् 0.50 ग् 0.60 मीटर होगी जो जमीन से 0.30 मीटर उपर एवं 0.30 मीटर नीचे होगी। स्टील की एक केपर होगी जा नलकूप के ऊपर वेल्ड की जाएगी अथवा नट बोल्ट से फिक्स की जाएगी। मोटर पंप मरम्मत के दौरान नलकूप को खुला नहीं छोडा जाएगा।
नए तथा पुराने नलकूपों की सूचनाओं का संधारण
सभी नए तथा पुराने नलकूप उपयोगकर्ताओं को डीओआईटी द्वारा विकसित राजधारा ऑनलाइन पोर्टल पर नलकूप निर्माण की सूचना दर्ज करानी होगी। समस्त अकार्यशील बोरवेल/नलकूप जो चालू हालत में नहीं है उन्हें नलकूप उपयोगकर्ता/भूमि मालिक द्वारा बंद कर सूचना राजधरा पोर्टल पर अपलोड करानी होगी। यदि बोरवेल/नलकूप विफल हो जाता है/अधूरा रह जाता है तो ड्रिलिंग एजेंसी उसे कैप लगाकर बंद करेगी और राजधरा पोर्टल पर अपलोड करेगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों की पालना में ड्रिल किए गए बोरवेल की जिला, ब्लाक, गांव वार स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए, जिला स्तर पर उपयोग में आने वाले कुओं की संख्या, खुले पाए गए परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबवेल की संख्या, भूतल स्तर तक ठीक से भरे गए परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबवेल की संख्या तथा भूतल स्तर तक भरे जाने वाले परित्यक्त बोरवेल/ट्यूबवेल की शेष संख्या संधारित की जानी चाहिए।
मौजूदा सरकारी पोर्टल पर जानकारी का अद्यतनीकरण
जल जीवन मिशन के तहत मौजूदा ट्यूबवेल के बारे में जानकारी ई जल शक्ति पोर्टल से प्राप्त की जा सकती है। जिन ट्यूबवेलों की एनओसी सीजीडब्ल्यूए द्वारा दी गई है, उनके बोर में जानकारी सीजीडब्ल्यूए वेबसाइट/पोर्टल पर देखी जा सकती है। एमडी (जेजेएम), मुख्य अभियंता (ग्रामीण/शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग, मुख्य अभियंता भूजल विभाग, क्षेत्रीय निदेशक केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण, जयपुर को संबंधित पोर्टल/वेबसाइटों पर सभी जानकारी अपडेट करनी होगी।
निगरानी तंत्र
जिला कलेक्टर इन दिशा निर्देशों की पालना एवं निगरानी हेतु सक्षम प्राधिकारी होंगे एवं बोरवेल/ट्यूबवेल की स्थिति की उचित निगरानी राज्य/केन्द्रीय एजेंसी के माध्यम से करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में उपरोक्त की निगरानी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के द्वारा सरपंच/ग्राम विकास अधिकारी के माध्यम से की जाएगी। शहरी क्षेत्रों में उपरोक्त की निगरानी नगर पालिका/जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता/कनिष्ठ अभियंता तथा भूजल विभाग के भूजल वैज्ञानिकों द्वारा की जाएगी।
अनुपालन सुनिश्चित करने के तरीके
साइट निरीक्षण के दौरान कार्यकारी एजेंसी/प्राधिकारी द्वारा इन निर्देशों का उल्लंघन किए जाने पर एनओसी रद्द की जा सकती है। ट्यूबवेल/बोरवेल को सील किया जा सकता है। जुर्माना लगाया जा सकता है। दुर्घटना की स्थिति में एफआईआर दर्ज की जाएगी तथा कानूनी कार्यवाही की जाएगी।