सीएम गहलोत पर सतीश पूनिया ने साधा निशाना, कहा- कांग्रेस टुकड़ो में बटी है, भारत को क्या जोड़ेगी

राजस्थान में सियासी संकट के बीच कांग्रेस की अंदरूनी कलह सबके सामने आ चुकी है।

Update: 2022-10-02 02:26 GMT

न्यूज़ क्रेडिट : aapkarajasthan.com

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान में सियासी संकट के बीच कांग्रेस की अंदरूनी कलह सबके सामने आ चुकी है। जिसके चलते बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सीधा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लिया और कहा कि पर्यवेक्षकों के सामने विधायक दल की बैठक रद्द करवाकर गहलोत ने यह साबित कर दिया कि वह कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अहमियत नहीं देते है। पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार किया। पूनिया ने कहा कि विश्व के प्रमुख मजबूत लीडरों में शुमार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिनों-दिन बढ़ती लोकप्रियता को कांग्रेस के गांधी खानदान से लेकर पूरी कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। शुरुआत से ही जाति-पंथ और मजहब के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेस स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिये लड़ाई लड़ रही है।

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पीएम मोदी का राजस्थान की जनता के प्रति दण्डवत प्रणाम यह दर्शाता है कि उनका राजस्थान की देवतुल्य जनता और संत-महापुरुषों एवं वीरों की धरती से अथाह प्रेम है। जिसके विकास व तरक्की के लिये वे समर्पित हैं। लेकिन कांग्रेस नेताओं की संस्कृति गांधी खानदान को दण्डवत करने की रही है, जिनका जनता से कोई सरोकार नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि जुड़े हुये भारत को जोड़ने का पाखंड़ करने वाली कांग्रेस खुद टुकड़ों में बंट चुकी है। इनके नेता ही कांग्रेस से घृणा करने लगे हैं, जिसके प्रमाण सबके सामने हैं।
राजस्थान के आदिवासी समाज सहित सभी 36 कौम की ओर से आबू रोड़ में पीएम मोदी के ऐतिहासिक और भव्य स्वागत से कांग्रेस की जमीन पूरी खिसक चुकी है। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि विधानसभा चुनाव 2023 में नरेन्द्र मोदी के नाम, काम और भाजपा संगठन की खूबियों से तीन चौथाई बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी और कांग्रेस की ऐतिहासिक हार होगी। कांग्रेस आलाकमान से लेकर अशोक गहलोत तक सभी को यह पता चल चुका है। 2024 में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटें भी भाजपा जीतेगी और नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रचंड बहुमत से पीएम बनेंगे।
पूनिया ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान की हालत यह है कि सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक को अशोक गहलोत कोई अहमियत नहीं देते है। उनकी ओर से भेजे गये पर्यवेक्षकों के सामने कांग्रेस विधायकों से बयान दिलवा, अलग से बैठक करवा और विधायक दल की बैठक रद्द करवाकर गहलोत ने यह साबित कर दिया कि वह कांग्रेस आलाकमान से बड़े हैं। गहलोत कांग्रेस को फिर से राजस्थान में रिपीट करने की बात करते हैं, जबकि उनकी जनविरोधी नीतियों से 2023 में कांग्रेस की विपक्ष में रहने लायक स्थिति भी शायद नहीं रहेगी।
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