सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान अभियान- जयपुर में ’मास्टर ट्रेनर्स’ की राज्य स्तरीय कार्यशाला
स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव श्री नवीन जैन ने कहा कि ’गुड टच-बैड टच’ मानवता का विषय है, सरकारी स्कूलों के बच्चों में इसकी सही-सही समझ विकसित करने के लिए इसके प्रशिक्षण को सरकारी दायित्व का हिस्सा नहीं मानते हुए सभी व्यक्तिगत रूचि और जिम्मेदारी के साथ मन से इस अभियान से जुड़े।
श्री जैन शुक्रवार को जयपुर में दुर्गापुरा स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एवं मैनेजमेंट (सियाम) में ’सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान’ अभियान की शुरुआत के मौके पर आयोजित ’मास्टर ट्रेनर्स’ की राज्य स्तरीय कार्यशाला के प्रशिक्षण सत्रों में ’विषय विशेषज्ञ’ के रूप में मार्गदर्शन कर रहे थे। उन्होंने औपचारिकताओं से परे एक ’सब्जेक्ट एक्सपर्ट’ तौर पर अपने प्रेजेंटेशन में ’सुरक्षित स्पर्श-असुरक्षित स्पर्श’ की उदाहरणों के साथ व्याख्या की। वहीं ’बैड टच’ से बच्चों को बचाने के लिए व्यावहारिक और आसान तरीके भी सुझाए।
’जागरूक परिवार और जागरूक बच्चे’ की थीम पर फोकस-
शासन सचिव ने कहा कि समाज में बच्चों के साथ होने वाली यौन दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने के लिए ’जागरूक परिवार और जागरूक बच्चे’ की अवधारणा पर कार्य करने की आवश्यकता है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस थीम को प्रदेश के 66 हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों के माध्यम से प्रदेश के सभी बच्चों तक ले जाकर ’गुड टच-बैड टच’ के संवेदनशील विषय पर व्यापक जागरूकता लाने के लिए इस अभियान की रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 1200 ’मास्टर ट्रेनर्स’ आगामी दिनों में जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाओं में सम्बंधित जिले के सभी सरकारी स्कूलों से चयनित एक-एक टीचर को ’मास्टर ट्रेनर’ बनाएंगे। उनके माध्यम से आगामी 26 अगस्त को राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में ’नो बैग डे’ की गतिविधि के तहत एक साथ ’गुड टच-बैड टच’ के बारे में जागरूकता का प्रथम चरण आयोजित होगा। इसके बाद आगामी अक्टूबर और जनवरी माह में इसी तर्ज पर सभी स्कूलों में दूसरे और तीसरे चरण में रिपीट सत्र आयोजित होंगे।
बच्चों को समझाएं ’अच्छे और बुरे स्पर्श’ का अंतर-
कार्यशाला में बताया गया कि माता-पिता का प्यार और स्नेह के रूप, मां द्वारा बच्चों को नहलाते समय, दादा-दादी द्वारा आशीर्वाद के लिए या दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों की ओर से खुशी के पलों में ’टच’ अच्छे और सुरक्षित स्पर्श के रूप है। इसी प्रकार शिक्षकों द्वारा सराहना या शाबासी, समाज के अन्य व्यक्तियों द्वारा आशीर्वाद या फिर माता-पिता की उपस्थिति में डॉक्टर द्वारा ईलाज के लिए बच्चे का स्पर्श ’गुड टच’ की श्रेणी में आते हैं। बच्चों को होंठ, छाती, टांगों के बीच आगे-पीछे और कमर के नीचे की ओर छूना ’बैड टच’ हैं। वहीं बिना छुए फोन या लैपटॉप पर पर बुरी तस्वीरे या वीडियो दिखना ’डिजिटल बैड टच’ होता है। प्रशिक्षण में बताया कि ’गुड-टच’ बच्चों में प्यार और खुशी की भावना आती है और वे अच्छा महसूस करते है। ’बैड-टच’ से बच्चा हैरान, अकेला, शर्मिंदा और उदास हो जाता है, उसमें गुस्से और चिड़चिड़ेपन के लक्षण दिखाई देते हैं। ट्रेनर्स को इन स्थितियों के बारे में बच्चों को जागरूक बनाने के लिए सूझबूझ और संवेदनशीलता के साथ समझाना होगा।
बताई नो-गो-टैल की थ्योरी-
प्रशिक्षण में बैड टच की स्थिति में बच्चों को चिल्लाते हुए ’नो’ बोलकर उस स्थान या व्यक्ति से सवाधानी के साथ दूर भागने (गो) और इसके बारे में बिना किसी डर या घबराहट के किसी बड़े या जिस पर उनको सबसे ज्यादा भरोसा हो, को बताने (टैल) के लिए सजग बनाने की थ्योरी भी बताई गई। इस दौरान स्कूल शिक्षा विभाग की विशिष्ट सचिव श्रीमती चित्रा गुप्ता, स्कूल शिक्षा निदेशक श्री कानाराम, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक डॉ. टी. शुभमंगला सहित शिक्षा विभाग, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल, राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल, शिक्षा निदेशालय, बीकानेर, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर से सम्बंधित अधिकारी और कार्मिक मौजूद रहे। प्रशिक्षण सत्रों के संचालन में टीम स्पर्श की ओर से विक्रम सिंह राघव एवं प्रियंका कपूर एवं अन्य सदस्यों के अलावा स्कूल शिक्षा विभाग और राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के अधिकारियों और कार्मिकों ने सक्रिय सहयोग दिया।