200 कर्मचारियों के खातों से 6.36 करोड़ रुपये लोन दिखाकर निकाले गए

Update: 2023-09-29 09:50 GMT
राजस्थान | सरकारी जीपीएफ खाते भी सुरक्षित नहीं हैं। चतुर्थ श्रेणी 2 कर्मचारी और सरकारी ड्राइवर समेत 12 मुलाजिमों ने 200 जीपीएफ खातों में सेंध लगाकर करीब 6. 36 करोड़ रुपए का गबन कर लिया। हालांकि निदेशालय राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग ने मामले काे दबा दिया। जिन कर्मियों के पैसे निकाले गए उन खातों में लाेन दिखा दिया और आरोपियों ने अपने खातों की पुरानी बैलेंस शीट डिलीट कर 1 मार्च 2012 से नई दिखा दी।
निदेशक हेम पुष्पा शर्मा का कहना है कि 4 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। गबन हुई राशि की रिकवरी की जा रही है। अशाेक नगर थाने में आराेपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। गौरतलब है कि जीपीएफ योजना में ऑटो निकासी सुविधा अक्टूबर 2021 में दी गई थी। इधर, मनोज वर्मा और भोमाराम गुर्जर कर्मचारी राज्य बीमा एवं प्रावधायी विभाग ने 61.50 लाख और खुर्शीद (निलम्बित परिचालक, यूनानी चिकित्सा, जयपुर) ने 55 लाख का अनियमित भुगतान लिया।
निम्न कार्मिकों ने ऑटो आहरण से अधिक भुगतान प्राप्त किया
1. भोमाराम ने 22 मार्च 23 काे 38 लाख रुपए 2. नीरू भाटिया ने 24 मार्च 23 काे 60 लाख रुपए 3. मनाेज कुमार पारीक ने 27 मार्च 23 काे 50 लाख रुपए 4. संदीप माथुर ने 27 मार्च 23 काे 20 लाख 95 हजार रुपए 5. सुशीला वर्मा ने 27 मार्च 23 काे 56 लाख रुपए 6. अनिल कुमार शर्मा ने 28 मार्च 23 काे 63 लाख रुपए 7. मनाेज कुमार वर्मा ने 3 मई 23 काे 50 लाख रुपए 8. श्रवण कुमार शर्मा ने 3 मई 23 काे 60 लाख रुपए 9. माेहम्मद खुर्शीद ने 12 मई 23 काे 55 लाख रुपए 10. अनूप सिंह राठाैड ने 23 मई काे 55 लाख रुपए 11. कृष्ण कुमार ने 25 मई 23 काे 61.50 लाख रुपए 12. हनुमान मीना ने 3 मई 23 काे 62 लाख रुपए
मार्च 2012 के पहले की राशि निकालने के लिए खाते अनफ्रीज किए ताे घोटाला किया
कर्मचारियों के जीपीएफ खाते को पूरा करने के लिए कटौतियों और पुराने लेन-देन की एंट्री होनी थी। खाते अन-फ्रीज किए गए थे ताकि 1 अप्रेल 2012 से पहले का जीपीएफ लेजर को कर्मचारी की पासबुक और बैंक लेजर से मिलान करके इसे संशोधित किया जा सके। इसी का फायदा उठाकर आराेपी कर्मचारियों ने करीब 200 कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में सेंध लगा कर पैसा निकाल लिया। बहरहाल, मामले की जांच अशोक नगर थाना पुलिस कर रही है।
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