आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट ने खोल दी राजस्थान के आर्थिक प्रबंधन की पोल

Update: 2022-07-28 11:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान भी कर्ज से डूबा है। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा सरकार चुनावी जीत पक्की करने के लिए लोकलुभान घोषणाएं करने में पीछे नहीं रहे। रिजर्व बैंक की हाल की वार्षिक रिपोर्ट में राजस्थान सरकार के आर्थिक प्रबंधन की पोल खुल कर रह गई है। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ से दबे हैं। कर्ज के अलावा इन राज्यों का आमदनी और खर्च का प्रबंधन भी ठीक नहीं है। यानी ये राज्य ऐसी जगहों पर खर्च नहीं कर रहे हैं। जहां से आमदनी के स्रोत पैदा हों। यही वजह है कि इन राज्यों में भविष्य में कर्ज की स्थिति और भयावह हो सकती है। यही नहीं इन राज्यों का वित्तीय घाटा भी चिंताएं बढ़ा रहा है। आरबीआई ने इन राज्यों को जरूरत से ज्यादा सब्सिडी का बोझ घटाने की सलाह दी है।

राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा की बारी-बारी सरकारें बनती रही है। दोनों ही दलों की सरकारे चुनावों से पहले लोकलुभावन घोषणाएं करती रही है। गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही सहकारी बैंकों के किसानों का किसान कर्जमाफी के नाम पर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। सीएम अशोक गहलोत ने बजट में 50 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान किया। इससे राज्य के सरकारी खजाने पर करीब 6 हजार करोड़ का भार पड़ा है। गहलोत सरकार अब 1.33 करोड़ महिलाओं को फ्री मोबाइल बांटने जा रही है। बजट ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 12,500 करोड़ रुपये करने की खबर है। लोकलुभावन घोषणा करने में पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार भी पीछे नहीं रही है। वसुंधरा सरकार ने चुनावी साल में स्टेट टोल फ्री कर दिए थे। इससे 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व का नुकसान हुआ। वसुंधरा सरकार ने सहकारी बैंकों के कर्जदार किसानों के लिए 50 हजार रुपए तक की कर्जमाफी का ऐलान किया था। राज्य में बिजली कंपनियों के घाटे से वित्तीय स्थिति चरमरा गई है। लेकिन बिजली महंगी करने से दोनों ही दलों की सरकारें बचती रही है। क्योंकि बिजली सीधे वोटर जुड़ी है।
source-hindustan


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