राजस्थान: मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की संत-कवयित्री, जो शताब्दियों से भारतीय आध्यात्मिक जगत में चमक रही हैं। उन कृष्ण भक्त मीरा के नाम पर स्थापित पुरस्कार पर बहस छिड़ी है।
संत मीरा की साहित्यिक स्मृति को संजोए रखने के लिए शुरू किया गया राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान मीरा पुरस्कार ‘श्वान’ पर पहुंच गया है। साहित्य अकादमी ने 24 जुलाई को पिछले तीन साल के पुरस्कारों की घोषणा की थी। इनमें 2020-21 का पुरस्कार डॉ. आरडी सैनी की गद्यकृति ‘माय डियर डॉग ओलिव’ को दिया गया है।
पुरस्कार की घोषणा के साथ ही राजस्थान के साहित्यकारों और कलमकारों की सर्वोच्च संस्था इस निर्णय से घिरती नजर आ रही है। राजस्थान साहित्य अकादमी के 65 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी लेखक को एक श्वान (डॉग) पर आधारित पुस्तक लेखन के लिए साहित्य जगत के इस सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाएगा।
इससे पहले तक मीरा पुरस्कार साहित्यिक कृति पर ही मिलता रहा है। कई वरिष्ठ साहित्यकारों-कलमकारों ने अकादमी द्वारा श्वान की इस आत्मकथा के लिए मीरा पुरस्कार देने की इस घोषणा को घोटाला बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। कुछ का कहना है कि राजस्थान साहित्य अकादमी साहित्य की समाधि बनाने की तैयारी कर रही है।