राजस्थान : बिना किसी रोकटोक के दलित दुल्हे चढ़ सकेंगे घोड़ी, कलेक्टर ने बदली इस जिले में रवायत

राजस्थान के बूंदी जिले के चड़ी गांव में सोमवार को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ-साथ कई अधिकारियों और ऊंची जाति के कुछ लोगों सहित ग्रामीणों ने एक दलित दूल्हे की बारात का स्वागत करते हुए एक अनूठी मिसाल पेश की. दूल्हा पूरे धूमधाम के साथ बारात लेकर गांव पहुंचा.

Update: 2022-01-25 05:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी जिले (Bundi Distict) के चड़ी गांव में सोमवार को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ-साथ कई अधिकारियों और ऊंची जाति के कुछ लोगों सहित ग्रामीणों ने एक दलित दूल्हे (Dalit groom) की बारात का स्वागत करते हुए एक अनूठी मिसाल पेश की. दूल्हा पूरे धूमधाम के साथ बारात लेकर गांव पहुंचा. जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. जिला प्रशासन की ओर से चलाए गए समानता अभियान के तहत बूंदी की जिलाधिकारी रेणु जयपाल और पुलिस अधीक्षक जय यादव समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने गांव में दलित दूल्हे की बारात का स्वागत किया. चड़ी गांव में उच्च जाति के लोग बहुसंख्यक हैं.

जिला पुलिस द्वारा शुरू किए गए इस नए अभियान का उद्देश्य दलित समुदाय में विश्वास पैदा करने के अलावा सभी के लिए सम्मान की भावना पैदा करना तथा दलित दूल्हों को उच्च जाति के लोगों की बहुलता वाले गांवों में बारात निकालने से रोकने की प्रथा से छुटकारा दिलाना भी है.
बेटे की शादी की खातिर लगाई थी कलेक्टर से गुहार
बख्शपुरा गांव के एक दलित समुदाय के व्यक्ति धनराज मेघवाल की शिकायत पर बूंदी जिला प्रशासन ने यह अभियान शुरू किया. लगभग एक महीने पहले धनराज ने इस मामले में जिलाधिकारी से संपर्क किया था. धनराज ने आशंका जताई थी कि उनके बेटे श्रीराम मेघवाल की शादी चड़ी गांव के रहने वाले बाबूलाल मेघवाल की बेटी द्रौपदी से होने वाली है, जिसमें उच्च जाति के लोग बाधा उत्पन्न कर सकते हैं.
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी रेणु जयपाल ने धनराज को न केवल सभी कानूनी संरक्षण का आश्वासन दिया, बल्कि उच्च जाति बहुल वाले गांवों का सर्वेक्षण करने और ऐसे सभी गांवों की सूची तैयार करने का भी आदेश दिया था. इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से समानता अभियान चलाने का फैसला किया गया.
30 गांव में दलित वर्ग के दूल्हे घोड़ी पर नहीं बैठे
कलेक्टर ने इसी के ही साथ बूंदी जिले के उन गांव कोई सूची तैयार करवाई, जहां पर आज तक दलित वर्ग के दूल्हे घोड़ी पर नहीं बैठे. जिले में इस तरह के करीब 30 गांव निकल कर सामने आए. जिनकी लिस्ट तैयार करवाई गई और उक्त गांव में समानता समितियों का गठन किया गया. सर्व समाज के लोगों को उन में शामिल किया गया बैठकों का दौर किया गया और एक सर्कुलर जारी किया गया.
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