Rajasthan: बीसलपुर बांध में आया 35.70 % पानी
यह बांध 1 करोड़ लोगों की पानी की सभी जरूरतों को पूरा करता है
जयपुर: बीसलपुर वो नाम है जो राजस्थान की राजधानी जयपुर समेत टोंक, अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर और जयपुर ग्रामीण के 1 करोड़ लोगों की पानी की सभी जरूरतों को पूरा करता है। ये राजस्थान में सबसे ज्यादा जल भराव की क्षमता वाला बांध है। 18 गेट वाले इस बांध से निकलने वाले पानी पर राजस्थान में 5 जिलों के 4 लाख से ज्यादा किसान निर्भर है। इस बांध का निर्माण बीसलपुर गांव के करीब अरावली पर्वतमाला की श्रृंखलाओं के बीच बनास, खारी व डाई नदियों के संगम पर किया गया है।
बीसलपुर बांध का शिलान्यास 25 जनवरी 1985 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने किया था। शुरुवात में इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जयपुर व अजमेर में जलापूर्ति करना और शेष पानी से सिंचाई कार्य करना था। बीसलपुर बांध का निर्माण कार्य 1987 में शुरू हुआ और साल 1996 में पूरा हुआ। उस समय इस बांध के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए की लागत आई थी। बांध के कैचमेंट एरिया की बात करें तो ये लगभग 28 हजार 800 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके कुल जलभराव क्षेत्र में 21 हजार 300 हेक्टेयर भूमि आती है। बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में कुल 68 गांव आते हैं, जिसमें 25 गांव पूर्ण रूप से तथा 43 गांव आंशिक रूप से इसका हिस्सा है।
बीसलपुर बांध जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और दौसा की लाइफ लाइन कहा जाता है। बीसलपुर बांध वर्तमान में राज्य की करीब एक करोड़ की आबादी की प्यास बुझा रहा है। बांध बनने के बाद से लगातार अजमेर शहर के साथ ही जिले के गांव कस्बों में जलापूर्ति चालू है। वहीं साल 2009 से बीसलपुर बांध ने जयपुर शहर और ग्रामीण को भी पेयजल देना शुरू कर दिया था। इसके बाद साल 2018 से टोंक, देवली, उनियारा क्षेत्रों में भी इस बांध से जलापूर्ति चालू कर दी गई थी। इसके बाद इन जिलों के 438 गांव व कस्बों में इसी बांध से जलापूर्ति हो रही है। अभी बांध से प्रतिदिन लगभग 480 एमएलडी पानी जयपुर शहर, 330 एमएलडी अजमेर, 52 एम एल डी मालपुरा-दूदू, 53 एमएलडी चाकसू व 50 एम एल डी बीसलपुर टोंक उनियारा पेयजल परियोजना के तहत देवली टोंक व उनियारा शहरों व इससे जुड़े 436 गांव व कस्बों में पानी दिया जा रहा है।
बीसलपुर बांध का निर्माण होने के बाद इसे 1999 में सिंचाई विभाग से बीसलपुर परियोजना को सुपुर्द कर दिया गया। 2001 में पीएचईडी के तहत बीसलपुर इंटेक व थड़ोली में पम्पिंग स्टेशन तैयार कर अजमेर, ब्यावर समेत जिले के सबंधित जिलो में जलापूर्ति शुरू की गई। इधर, 2006 में थड़ोली के निकट सूरजपुरा में प्रदेश का सबसे बड़ा फिल्टर प्लांट का निर्माण शुरू हुआ, साथ ही सूरजपुरा फिल्टर प्लांट व जयपुर जलापूर्ति पाइप लाइनों का करीब 11 सौ करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। प्रथम चरण में सूरजपुरा में 2005 से प्रोजेक्ट की शुरुआत कर 556 करोड़ की लागत से बीसलपुर इंटेक पम्प से 2400 एमएम की रॉ पाइप लाइन, सूरजपुरा फिल्टर प्लांट, 400 एमएलडी सीड्ब्ल्यूआर तथा प्लांट से बालावाला, जयपुर तक जलापूर्ति पाइप लाइन का निर्माण कराया गया। इसका कार्य पूर्ण होने के बाद अप्रेल 2009 से इन क्षेत्रों में जलापूर्ति शुरू कर दी गयी थी ।
दूसरे चरण में बीसलपुर ग्रामीण जलापूर्ति परियोजना में मालपुरा-दूदू जलापूर्ति पाइप लाइन व झिराना-निवाई चाकसू पाइप लाइन का कार्य पूरा होने के बाद सन 2012 में ग्रामीण जलापूर्ति शुरू की गई। पानी की मांग बढऩे के बाद सन 2019 में सूरजपुरा फिल्टर प्लांट परिसर में करीब 122 करोड़ की लागत से 200 एमएलडी का सीडब्ल्यूआर का निर्माण करवाकर प्लांट की क्षमता 400 एमएलडी से 600 एमएलडी की गई। वर्तमान में सूरजपुरा फिल्टर प्लांट से जयपुर के लिए 480 एमएलडी तथा ग्रामीण क्षेत्र में मालपुरा-दूदू जलापूर्ति पाइप लाइन में 53 व झिराना-निवाई चाकसू पाइप लाइन में 52 एमएलडी की जलापूर्ति की जा रही है।
बीसलपुर बांध में पानी की आवक राजसमंद, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा, अजमेर व टोंक जिले से होती है, जिसे कैचमेंट एरिया माना गया है। बांध परियोजना के अभियंताओं के अनुसार बांध में पानी की मुख्य आवक चित्तौडगढ़ व भीलवाड़ा जिलों से होना माना जाता है, जिसमें बनास नदी मुख्य आवक का स्रोत है। वहीं खारी व डाई नदियां भी पानी के भराव में सहायक है। बनास नदी में बीसलपुर बांध से पूर्व मातृकुंडिया, गोवटा, कोठारी, जैतपुरा मुख्य बांध है।
बनास में पानी की मुख्य आवक का स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरना है, जिसका पानी गोवटा बांध में आता है। गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी में मिलकर त्रिवेणी तक पहुंचता है। त्रिवेणी में बनास, बेड़च एवं मेनाली नदी मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है और यही प्राचीन महादेव का मंदिर बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी नदी से आगे पानी बनास नदी के रूप में शुरू होता है, जिसमे कोठारी नदी, ऊवली नदी, नगदी नदी सहित अन्य छोटी सहायक नदियां मिलती है। और बनास नदी का यह पानी बीसलपुर बांध तक पहुंचता है। बीसलपुर बांध में पानी की मुख्य आवक का स्रोत त्रिवेणी को माना गया है।
यह बहुउद्देश्यीय बांध राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है | इसकी नहर लगभग 2 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करती है, जिससे लाखों किसानों को लाभ हुआ है और कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। बांध में एक जलविद्युत संयंत्र है, जिसकी स्थापित क्षमता 162 मेगावाट है | यह संयंत्र राज्य के विद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है | बीसलपुर बांध राजस्थान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए यह सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, और विद्युत उत्पादन प्रदान करके राज्य की अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाता है।
बीसलपुर बांध पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान के प्रमुख स्थानों में से एक है। यहां मानसून और बारिश के दौरान डैम से पानी छोड़ते समय का दृश्य देखने के लिए जयपुर, अजमेर समेत कई जिलों से पर्यटक यहां आते हैं। बीसलपुर बांध के समीप स्थित प्रसिद्ध गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां रावण ने लम्बे समय तक तपस्या की थी। इसी मान्यता के चलते श्रावण माह के दौरान इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।