स्लम फ्री करने की चार बार बनी योजनाएं, नहीं हो सका बस्तियों से मुक्त

Update: 2023-05-21 06:10 GMT

जयपुर: राज्य में शहरों को कच्ची बस्तियों से मुक्त करने की चार बार योजना बनी, लेकिन एक भी शहर स्लम फ्री नहीं हो सका है। पिछले सालों में विभिन्न तरह के परिलाभों से सैकड़ों कच्ची बस्तियों को नियमित किया गया, लेकिन उसके बाद भी बस्तियों की संख्या में कमी नहीं हो रही है। राजधानी जयपुर में इसकी संख्या सबसे अधिक है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने शहरों को कच्ची बस्ती मुक्त करने की मुहिम के चलते अब शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2004 में सर्वेशुदा कच्ची बस्तियों के अतिरिक्त 31 दिसंबर 2021 तक बसी नई कच्ची बस्तियों के सर्वे कर नियमित करने का फैसला लिया है। इस मुहिम पर कार्य शुरू कर दिया गया है।

शहरी कुल आबादी में 12.13% बस्तियों के लोग

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार कच्ची बस्ती में रहने वाले निवासियों की सबसे अधिक जनसंख्या 3,23,400 जयपुर नगर निगम की सीमा में हैं, जो कि अकेले ही राज्य की कच्ची बस्ती जनसंख्या का 15.64 प्रतिशत है एवं जयपुर नगर की कुल जनसंख्या का 10.62 प्रतिशत है। इसके बाद राज्य की झुग्गी आबादी का कोटा (नगर निगम) 15.44 प्रतिशत, जोधपुर (नगर निगम प्लस आउट ग्रोथ) 12.29 प्रतिशत बीकानेर (नगर निगम) 5.89 प्रतिशत, अजमेर (नगर निगम) 5.35 प्रतिशत, उदयपुर (नगर निगम) 3.13 प्रतिशत है और गंगानगर (नगर परिषद प्लस आउट ग्रोथ) 2.44 प्रतिशत हैं। शहर की कुल आबादी में सबसे अधिक कच्ची बस्ती निवासियों का प्रतिशत पीलीबंगा (न.प.) में 74.53 प्रतिशत दर्ज किया गया है, इसके बाद जहाजपुर (न.प.) में 63.79 प्रतिशत और केसरीसिंहपुर (न.प.) में 61.46 प्रतिशत है।

क्यों बढ़ रही बस्तियां

शहरों में कच्ची बस्तियों का निर्माण और विकास कई कारणों से होता है, जैसे ग्रामीण से शहरी प्रवास, उच्च बेरोजगारी, गरीबी, आर्थिक ठहराव और कमजोर योजना। ये बस्तियां आमतौर पर साफ और ताजे पानी की आपूर्ति, निरंतर बिजली की आपूर्ति, उचित स्वच्छता और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण जीर्ण-शीर्ण स्थिति

में है।

जयपुर की स्थिति

2015 के सर्वे में जयपुर में 308 बस्तियां पार्इं गई। हवामहल में सर्वाधिक 65, सिविल लाइंस में 55, मालवीय नगर में 27, आदर्श नगर में 43, किशनपोल में 37, बगरू में 20, सांगानेर में 28, आमेर में 13 बस्तियां शामिल है। 22 शहरों की 1843 कच्ची बस्तियों में 2.28 लाख अवैध घरों को पट्टे देने के लिए कांग्रेस सरकार ने 2008 में प्रशासन शहरों के संग अभियान में रोक लगा दी थी। अब फिर से इन बस्तियों के नियमन पर फोकस किया है।

कच्ची बस्तियों के नियमन में कुछ शर्तों के साथ छूट दी जाती है, लेकिन नए क्षेत्रों में फिर से बस्ती विकसित हो जाती है। अभियान के दौरान नियमों में आने वाली बस्तियों में पट्टे जारी किए

जा रहे है।

-आर.के. विजयवर्गीय, पूर्व चीफ टाउन प्लानर

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