कोटा: शहर के पार्कों में पहले जहां झूले अधिक लगते थे। वहीं अब झूलों के साथ ही ओपन जिम भी लगने लगी है। पार्कों में ओपन जिम का क्रेज इतना अधिक बढ़ गया है कि अब अधिकतर पार्कों में जिम नजर आने लगी है। जिससे बच्चे और युवा सेहत सुधार में लगे हैं। हालाकि कई पार्कों में देखरेख के अभाव में इनकी दुर्दशा भी होने लगी है। शहर में पहले जहां पार्क छोटे होते थे। वहां अधिकतर घास और फव्वारों के साथ ही लाइटिंग व कुछ झूले लगाकर उनका आकर्षण बढ़ाया जाता था। पार्कों में सुबह-शाम सैर करने वाले और गर्मियों की छुट्टियों में बाहर से आने वाले लोग व बच्चे पिकनिक मनाने जाते थे। जहां झूले झूलने का आनंद बच्चों के साथ महिलाएं भी लेती थी। वहीं अब पार्क बड़े-बड़े बनने लगे हैं। जिससे उनमें झूलों के साथ ही ओपन जिम भी लगने लगी है। पहले ओपन जिम बड़े पार्कों में ही लग रही थी। अब यह सभी पार्कों में लगने लगी है। नयापुरा स्थित सीबी गार्डन हो या छावनी का पार्क। न्यास का आॅक्सीजोन पार्क हो या कुन्हाड़ी का अम्बेडकर पार्क। सभी में ओपन जिम देखी जा सकती है। कांग्रेस पार्षद अनिल सुवालका का कहना है कि नदी पार कुन्हाड़ी क्षेत्र में पहले पार्कों में ओपन जिम कम भी। लेकिन अब अधिकतर पार्कों में ये लग चुकी हैं। उनके वार्ड के चारों पार्क में ओपन जिम है। जहां सुबह-शाम लोग उनका आनंद लेग रहे हैं।
निजी में फीस अधिक, पार्क में नि:शुल्क
डीसीएम निवासी शंकरलाल बैरवा का कहना है कि स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं। ऐेस में बच्चे जिम जाने की जिद करते हैं। प्राइवेट जिम में फीस अधिक लगती है। जबकि पार्कों में ही ओपन जिम की मशीनें लग चुकी हैं। जहां बच्चे और बड़े सभी नि:शुल्क व्यायाम कर सकते हैं। नयापुरा निवासी गणेश शर्मा का कहना है कि पार्कों में ओपन जिम लगना अच्छा है। इससे उस क्षेत्र के लोगों को व्यायाम की सुविधा मिल रही है। इनकी संख्या बढ़नी चाहिए। कंसुआ निवासी सत्येन्द्र गौतम का कहना है कि ओपन जिम लोगों की सुविधा के लिए लगाई जा रही है। लेकिन उन्हें लगाने के बाद उनकी देखभाल की जिम्मेदारी लोगों की व गार्डन की देखभाल करने वालों की होनी चाहिए। जिससे जरा सी टूटफूट होने पर ही उन्हें सुधार जा सके। वरना देखभाल क अभाव में कई जगह पर ये दुर्दशा के शिकार हो रही हैं।
निगम, न्यास व विधायक कोष से लग रही जिम
शहर के पार्कों में ओपन जिम लगाने का चलन कुछ समय पहले ही शुरू हुआ है। शुरुआत में इनकी संख्या काफी कम थी। लेकिन वर्तमान में यह तेजी से बढ़ रही है। अब शहर के अधिकतर पार्कों में ओपन जिम देखी जा सकती है। पार्कों में नगर निगम, नगर विकास न्यास व विधायक कोष से ये जिम लगाई जा रही है।
एक से तीन लाख तक का खर्चा
पार्क में ओपन जिम लगाने का एकसे तीन लाख रुपए तक का खर्चा हो रहा है। छोटे पार्कों में कम उपकरण और बड़े पार्कों में 8 से 10 उपकरण(मशीनें ) तक लगाई जा रही है। जिनमें छोटे बच्चों से लेकर युवा और बड़े सभी आयु वर्ग के लोग व्यायाम कर अपनी सेहत बना सकते हैं। शहर के अधिकतर पार्कों जिनमें मौहल्ला पार्क तक शामिल हैं। वहां दिनभर जिम करने वालों की भीड़ लगी रहती है। फिलहाल गर्मी अधिक होने से दिन के समय पार्क जरूर सूने दिख रहे हैं। लेकिन शाम होते ही जिम की सभी मशीनों पर लोगों को व्यायाम करने की जगह तक नहीं मिल पा रही।
इनका कहना
नगर निगम कोटा दक्षिण में 285 पार्क हैं। हालांकि अभी तक यहां करीब 10 फीसदी पार्कों में ही ओपन जिम हैं। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ रही है। विधायक कोष से यहां कई पार्कों में ओपन जिम लगाई जा रही है। छोटे पार्कों में 8 व बड़े में 10 मशीनों वाली जिम लगाई जा रही है। जिससे उन पर दो से तीन लाख का खर्चा हो रहा है। यह क्षेत्र के लोगों के लिए सुविधाजनक है।
-ए. क्यूृ कुरैशी, उद्यान अधीक्षक, नगर निगम कोटा दक्षिण
कोटा उत्तर क्षेत्र में करीब दो दर्जन पार्क हैं। उनमें से कई में तो ओपन जिम लग चुकी है। स्थानीय लोगों व पार्षदों की डिमांड के अनुसार ओपन जिम लगाई जा रही है। ओपन जिम नगर निगम व नगर विकास न्यास सभी के द्वारा लगाई जा रही है। ओमन जिम लगने का कारण सेहत के प्रति लोगों की बढ़ी जागरूकता है।
-पी.पी. गर्ग, एक्सईन, नगर निगम कोटा उत्तर