कोटा: अपेक्षा ग्रुप धोखाधड़ी केस की जांच आईपीएस रैंक का वह अधिकारी करेगा, जिसके पास इस रूप में काम करने का कम से कम 5 साल का अनुभव हो। हाईकोर्ट ने हाल ही यह आदेश अलग-अलग लगाई गई 5 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया। आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं में से किसी के खिलाफ अगले आदेश तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा, लेकिन सभी याचिकाकर्ता एफआईआर की पुलिस जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे और अपना संपर्क नंबर संबंधित को प्रदान करेंगे। हाईकोर्ट ने मामले में दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग को फिलहाल स्वीकार नहीं किया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि निजी प्रतिवादियों को नोटिस देने के बाद विचार किया जाएगा।
अभी आरपीएस कर रहे जांच: वर्तमान में अपेक्षा मामले की जांच आरपीएस अधिकारी डीएसपी अमरसिंह के नेतृत्व में गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) कर रही है। अब तक 200 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का हिसाब-किताब सामने आया है, लेकिन पुलिस को पीड़ितों की ओर से 30 करोड़ रुपए की एफआईआर मिली है। करीब 70 करोड़ रुपए की संपत्ति ग्रुप के पास है। डीएसपी अमरसिंह के अनुसार उक्त अब तक 95 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 13 एफआईआर में चालान पेश किया जा चुका है।
यह है मामला: मुरली मनोहर नामदेव, संजय कश्यप और हरिओम सुमन ने अपेक्षा इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से गैर-वित्तीय कंपनी शुरू की। बाद में अपेक्षा राइज प्रोजेक्ट एलएलपी और अपेक्षा एसोसिएट एलएलपी नाम की कंपनियां भी अस्तित्व में आईं। याचिकाकर्ता इस ग्रुप में निवेशक हैं। कंपनी ने इन्हें अपनी परिपक्वता राशि विभिन्न रूप में फिर से निवेश करने का लालच दिया। बाद में कंपनी निवेशकों का पैसा हड़प कर भाग गई और निवेशकों की ओर से लगातार मामले दर्ज होने लगे।