अब फर्स्ट एसी कोच में ही यात्रा करेगा डॉगी, हवाई किराए के बराबर लगेगा शुल्क

Update: 2023-05-17 14:36 GMT

कोटा: आपको पालतू जानवर को साथ में लेकर सफर करना है तो हवाई जहाज के किराए के बराबर रेलवे को शुल्क देना पड़ेगा। अब आपको फर्स्ट एसी का पूरा केबिन बुक कराना होगा। इसमें आपका पालतू जानवर सफर कर सकेगा। मेडिकल सर्टिफिकेट भी जरूरी है। ये भी ध्यान रखना होगा कि उससे अन्य यात्रियों को परेशानी न हो। कोटा मंडल गुजरने वाली और हॉल्ट लेकर चल रही अधिकतर ट्रेनें हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच वाले रैक वाली हो चुकी है। इनमें अलग से पालतू जानवर ले जाने की व्यवस्था नहीं है। अगर कोई व्यक्ति बिना बुकिंग के ट्रेन में पालतू जानवर ले जाते पकड़ा जाता है तो ऐसी स्थिति में रेलवे यात्री पर भारी जुर्माना लगा सकता है। यह जुर्माना टिकट के शुल्क का 6 गुना तक हो सकता है। रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार ट्रेन के गार्ड कोच के नजदीक लगाए जाने वाले केज में बकरी के साथ उसके मेमने भेजे जा सकते हैं। लेकिन एक साथ दो डॉगी को नहीं भेजा जा सकता। कोटा से हर महीने 10 से अधिक डॉगी विभिन्न शहरों के अलावा दिल्ली-मुंबई के लिए रवाना किए जाते हैं, इसके अलावा ट्रेनों से रवाना किए जाने वाले डॉगी, बकरा-बकरी और बिल्ली की संख्या हर महीने 15 से 20 के बीच रहती है। किसी प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से इन्हें ट्रेन से भेजे जाने पर 3 से 4 हजार रुपए का खर्च आता है। हालांकि फ्लाइट से भेजने पर यह खर्च इससे तीन गुना तक पहुंच जाता है।

बिल्ली के साथ मालिक का होना जरूरी

किसी यात्री को अपनी पालतू बिल्ली को ट्रेन से रवाना करना है, तो उसके साथ उसके मालिक का होना जरूरी है। इसके बाद ही बिल्ली को एसी-1 केबिन में संबंधित व्यक्ति अपने साथ ले जा सकता है। वहीं, डॉगी या बकरे को गार्ड कोच के केज से अकेले भी भेजा जा सकता है।

पुराने कोच में पालतू जानवर ले जाने की है व्यवस्था

कोटा में कई ट्रेने अभी पुरानी टेक्नोलॉजी वाले आईसीएफ कोचों वाली चल रही है। आईसीएफ वाले हर रैक में केज की व्यवस्था जानवर ले जाने के लिए है। लेकिन अभी नये एलएचबी रैक वाली ट्रेन में ये सुविधा नहीं है। इसके लिए एसी फर्स्ट का एक केबिन बुक करना पड़ता है। रेल अधिकारियों का कहना है कि इस समस्या की जानकारी मुख्यालय को दी गई है। धीरे-धीरे एलएचबी रैक वाले गार्ड कोच में केज की व्यवस्था हो जाएगी। पार्सल अधिकारियों का कहना है कि एसी-1 के अलावा अन्य किसी श्रेणी में डॉगी को ले जाने का नियम नहीं है।

एनिमल का मेडिकल जरूरी

वरिष्ठ वाणिज्य मंडल प्रबंधक रोहित मालवीय ने बताया कि जो भी जानवर ट्रेन या फ्लाइट से भेजा जाता है, उसका मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य है। उसे पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए। इसके बाद ही उसकी बुकिंग मिलती है। अन्यथा उसे नहीं भेजा जा सकता।

कोटा से हर माह जाते हैं कई पालतू जानवर

हर महीने 10- 12 डॉग और 15 से 20 तक बकरे-मेमने और इक्का-दुक्का बिल्लियां ट्रेनों से रवाना की जाती हैं। डॉगी सबसे ज्यादा दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरू व पुणे भेजे जाते हैं। वहीं, हैदराबाद, पुणे,मुंबई के लिए बकरे-मेमने आदि रवाना किए जाते हैं। 

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