अलवर में जेब में पैसा, एक्सीलेटर पर ईंट और टेस्ट पास नियमो की उड़ाई धज्जियाँ

Update: 2023-07-07 12:43 GMT

अलवर: अलवर बिना ट्राइल लाइसेंस जारी करने के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए राज्य में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक जरूर बना दिए हैं, लेकिन फिर भी फर्जी तरीके से लाइसेंस जारी करने का खेल थम नहीं रहा। अलवर में आरटीओ (प्रादेशिक परिवहन कार्यालय) का ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक है, लेकिन यहां वाहन की सिर्फ ड्राइविंग सीट पर बिठाकर लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। हालांकि इसके लिए सेवा शुल्क के रूप में लोगों से मोटी रकम वसूली जा रही है। यह पूरा खेल परिवहन कार्यालय के बाहर परिवहन सलाहकार बन कर बैठे लोगों और अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। जिस प्रकार यहां नियमों के मुताबिक ट्रायल लिए बगैर ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। उससे साफ है कि सेवा शुल्क के इस पूरे खेल से विभाग के उच्चाधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं हैं।

कैसे रूकें हादसे : जिस तरह ड्राइविंग लाइसेंस अनट्रेंड लोगों को जारी किए जा रहे हैं। उसी के मुताबिक हादसों में वृद्धि हो रही है। जबकि केन्द्र, राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट हादसों पर लगाम को लेकर कई वर्षों से प्रयास कर रहे हैं।अलवर आरटीओ में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन करने राजस्थान पत्रिका टीम गुरुवार दोपहर आरटीओ कार्यालय पहुंची। वहां ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए कारों की कतार लगी थी। बरामदे में कुर्सी टेबल लगाकर परिवहन विभाग के दो सिपाही बैठे थे।

उनके आसपास ड्राइविंग ट्रेक का ठेका लेने वाली कम्पनी के कर्मचारी और स्वयं को परिवहन सलाहकार बताने वाले लोग घूमते नजर आए। इन सलाहकारों के माध्यम से जो लोग ड्राइविंग टेस्ट के लिए आ रहे थे। उन्हें वे अपनी गाड़ियों से ही ड्राइविंग टेस्ट दिला रहे थे। इन गाड़ियों के एक्सीलेटर पर ईंट रखी हुई थी, ताकि अनट्रेंड या नौसिखिया चालक की गाड़ी खुद-ब-खुद चले। इसके अलावा चढ़ाई में गाड़ी पीछे नहीं चली जाए, इसके लिए आरटीओ के सिपाही खुद गाड़ियों के पिछले पहियों पर पत्थरों की ओट लगा रहे थे। जैसे ही इन लोगों का टेस्ट का नम्बर आ रहा था, वैसे ही कार्यालय में तैनात सिपाही और परिवहन सलाहकार उनसे अवैध वसूली की राशि लेकर अपनी जेबों में रख रहे थे और उन्हें टेस्ट पास कराया जा रहा था।

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