'मां कैंटीन' योजना: बंगाल के राज्यपाल ने लगाया योजना में फंड की हेराफेरी के आरोप
राजस्थान में कांग्रेस के धुरंधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अवरोधों को अपनी जमीनी राजनीति के दम पर रोकने के बाद पार्टी के युवा नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सूबे की चुनावी परिपाटी को बदलते हुए.
राजस्थान में कांग्रेस के धुरंधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अवरोधों को अपनी जमीनी राजनीति के दम पर रोकने के बाद पार्टी के युवा नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सूबे की चुनावी परिपाटी को बदलते हुए. कांग्रेस की दोबारा वापसी के लिए जोर लगाने में जुट गए हैं। सूबे की सत्ता और संगठन में अपने समर्थकों को वाजिब जगह दिलाने से उत्साहित होकर वे राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस के मौजूदा चुनौतियों से उबरने को लेकर आशान्वित हैं। राहुल गांधी के फिर से कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से लेकर ममता बनर्जी की सियासत से अलग राह पर चल रही विपक्षी राजनीति सरीखे मुद्दों पर सचिन पायलट ने दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से खास बातचीत की।
यह योजना बंगाल की ममता सरकार ने फरवरी में शुरू की थी। इसमें गरीबों को सस्ता भोजन मुहैया कराया जाता है। बंगाल के वित्त वर्ष 2021-22 के बजट दस्तावेज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना सालाना 100 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 1 अप्रैल से शुरू होना थी, लेकिन इसे फरवरी से बगैर किसी वैध फंड के शुरू कर दिया गया। राज्यपाल ने कहा कि इस प्रकार यह स्पष्ट है कि एक अप्रैल, 2021 से लगभग डेढ़ महीने पहले योजना चालू कर दी गई थी और इस अवधि के दौरान इस आशय का कोई वैध आवंटन नहीं था।
धनखड़ ने योजना के लिए धन के स्रोत और 31 मार्च तक खर्च की गई राशि का विवरण मांगा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 31 मार्च, 2021 तक मां योजना और उसके फंड के लिए असंवैधानिक हेराफेरी को देखते हुए पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने वित्त सचिव से योजना के वित्तीय व्यय का ब्योरा मांगा है।
राज्यपाल लिखते रहें पत्र: सौगत रॉय
राज्यपाल धनखड़ के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा कि राज्यपाल पत्र लिखते रह सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार विधानसभा के प्रति जवाबदेह है, न कि राज्यपाल के प्रति। रॉय ने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह उसे जवाब देगी या नहीं, लेकिन ऐसा लगता है कि विवाद पैदा करने और सरकार के साथ टकराव के लिए उनकी ट्वीट करने आदत है। राज्यपाल धनखड़ और ममता सरकार के बीच 2019 में पद संभालने के बाद से टकराव जारी है।