भगवान महाकालेश्वर करते हैं भक्तों की मनोकामना पूरी, ये है मान्यता
राजस्थान न्यूज
उदयपुर. सावन मास शुरू होने के साथ ही शिव मंदिरों में भक्तों का ताता लगा हुआ है. भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए विशेष पूजा-आराधना की जा रही है. ईटीवी भारत आज आपको भगवान शिव के उन प्राचीन मंदिरों से रूबरू करवा रहा है जिनकी विशेष मान्यताएं हैं. उदयपुर जिला मुख्यालय स्थित भगवान महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple Udaipur) देश-दुनिया में विख्यात है. महाकालेश्वर का मंदिर फतेहसागर झील के किनारे स्थापित है.
सावन मास शुरू होने के साथ ही महाकालेश्वर मंदिर में भी सुबह से ही भक्त अपने आराध्य महादेव की पूजा करने के लिए पहुंच रहे हैं. महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि भगवान शिव को सुबह से ही विशेष पूजा आराधना की जा रही है. भगवान का जलाभिषेक भी किया गया. इस दौरान विशेष पूजा अर्चना भी की जा रही है.
भगवान महाकालेश्वर मंदिर
900 साल पुराना मंदिर
भगवान महाकालेश्वर का यह मंदिर करीब 900 साल पुराना एकलिंग जी के समकालीन का मंदिर है. महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि महाकालेश्वर स्वयंभू स्वयं यहां प्रकट हुए थे.भगवान भोले के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है.इस मंदिर में देश के कोने-कोने से भक्त अपने प्रभु के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
भव्य है महाकालेश्वर मंदिर
दाधीच ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर का मंदिर अपने आप में दिव्य है. यहां भगवान महाकालेश्वर मंगला, मध्याह्न, सायंकाल और रात्रि चारों समय शिवलिंग के विग्रह के दर्शन होते हैं. भगवान के अलग-अलग स्वरूपों में सभी भक्तों को दर्शन होते हैं. उन्होंने बताया कि मंगला दर्शन के समय बाल स्वरूप, मध्याह्न दर्शन में युवा स्वरूप और सायंकाल में पूर्ण विग्रह स्वरूप जबकि रात्रि में वृद्ध विग्रह के दर्शन महाकाल मंदिर में होते हैं. इतना ही नहीं, चारों काल में शिवलिंग का रंग भी अलग-अलग स्वरूप में बदला हुआ होता है.
सावन के इस पावन महीने में महाकालेश्वर मंदिर में महिलाओं की ओर से विशेष पूजा-आराधना की जा रही है. यहां पहुंचे भक्तों ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर का मंदिर अपने आप में शक्ति का केंद्र है. यहां आने वाले भक्तों की भगवान महाकाल सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.