अलवर। अलवर ग्राम पंचायत अलावड़ा सीएचसी बेहाल है। अलावडा में पीएचसी से सीएचसी में क्रमोन्नत हुए चार वर्ष से अधिक समय हो जाने के बावजूद सीएचसी में सुविधाओं और स्टाफ की कमी का खमियाजा आलावडा और आसपास के गांवों से मरीजों को भुगतना पड रहा है। बुधवार को भी ग्राम पंचायत अलावड़ा कस्बे में ऐसा ही देखा गया। डिलीवरी के लिए आई महिला दर्द से कराहती रहीं। बुधवार अपराह्न लगभग 3:30 बजे 108 एम्बुलेंस एक महिला को डिलवरी के लिए इमरजेंसी नजदीकी सीएचसी लेकर आई, लेकिन वहां बाहर और भीतर गेट के ताला लगा मिलने से एक घंटे से अधिक समय तक प्रसूता कराहती रहीं।
इधर इसकी सूचना मीडिया को मिलने पर मीडिया कर्मियों ने मौके पर पहुंच एम्बुलेंस स्टाफ और जच्चा के परिजनों से बात कर ब्लॉक सीएमएचओ डाक्टर अमित राठोड़, एसडीएम अमित कुमार वर्मा और सीएमएचओ डॉक्टर श्रीराम शर्मा से दूरभाष पर बात करनी चाही, लेकिन किसी की ओर से फोन रिसीव नहीं किया गया। एम्बुलेंस स्टाफ ने बताया कि नियमानुसार 108 एम्बुलेंस नजदीकी चिकित्सालय में डिलीवरी के लिए जच्चा को लेकर जाती है और यह अलावडा की ढाणी से लाई गई है। यहां से रैफर कर अलवर ले जाना पड़ता है। उसके लिए महिला के परिजन सहमति नहीं दे रहे। इधर महिला के पति का आरोप है कि मैंने चिकित्सा प्रभारी को फोन किया तो उन्होंने जवाब में कहा कि हमारे यहां स्टाफ की कमी है। करीब एक घंटे बाद स्थानीय एएनएम डिलवरी कराने के लिए आई और बताया कि उसके पास सीएचसी प्रभारी डाक्टर जावेद का फोन आया है। उनके आदेश पर डिलवरी कराने आई हूं।
आरोप है कि सीएचसी केवल ओपीडी के समय ही खुलती है। सारा स्टाफ अलवर और आसपास से आता है, जबकि सीएचसी में डाक्टर और स्टाफ के लिए अलग से भवन भी बना हुआ है। ओपीडी के बाद यदि कोई इमरजेंसी या जच्चा डिलीवरी के लिए आती हैं तो डाक्टर की ओर से स्थानीय एएनएम जिसकी ड्यूटी किसी अन्य गांव में लगी हुई है, उसे मोबाइल फोन कर उसके द्वारा महिला की डिलीवरी करवा दी जाती है। ओपीडी समय में स्टाफ की ओर से डिलीवरी करा शाम को महिला के परिजनों से रजिस्टर पर दस्तक करवा कर स्वैच्छा से छुट्टी लेने की औपचारिकता पूरी कर घर भेज दिया जाता है।