खाद्य इकाई लगाने के लिए मिलेगा 90 प्रतिशत तक का ऋण, 10 लाख रूपये तक का अनुदान
जयपुर । प्रमुख शासन सचिव, कृषि एवं उद्यानिकी श्री वैभव गालरिया की अध्यक्षता में गुरूवार को पंत कृषि भवन में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पी.एम.एफ.एम.ई.) की बैठक राज्य के प्रमुख बैंकों के स्टेट हैड के साथ आयोजित की गई। प्रमुख शासन सचिव द्वारा बैंक अधिकारियों को इस योजना के प्रति संवेदनशील रहते हुए योजना के लक्ष्य अर्जित करने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने बताया कि योजना का उद्देश्य खाद्य से सम्बन्धित योजना में अनुदान प्रदान कर इकाईयों को बढ़ावा देना है। उल्लेखनीय है कि आटा मील, दाल मील, प्रोसेसिंग यूनिट, ग्रेडिंग क्लिनिंग यूनिट, आचार व पापड़ के उद्योग, दूध व खाद्य पदार्थो से सम्बन्धित इकाईयों के लिए इस योजना में अनुदान दिया जा रहा है।
प्रमुख शासन सचिव ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि बैंकों द्वारा छोटे व मंझले खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को अधिक से अधिक किस प्रकार लाभान्वित करवाया जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना में नई व पुरानी खाद्य इकाईयों को स्थापित करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा 35 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रूपये का अनुदान दिया जा रहा हैं तथा इस योजना के तहत विभिन्न बैंको की ओर से खाद्य इकाई लगाने पर 90 प्रतिशत तक की ऋण सहायता दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में योजना को जन-जन तक पहुंचाने एवं आवेदकों की सहायता हेतु हैल्पलाईन नम्बर 9829026990 कार्यरत है। योजना में आवेदनों की संख्या बढ़ाने की दृष्टि से रोलिंग प्रक्रिया के द्वारा अधिक से अधिक डिस्टिक रिसोर्स पर्सन सूचीबद्ध किये जा रहे हैं। सामान्य प्रक्रिया के तहत डिस्टिक रिसोर्स पर्सन के लिए आवेदन पत्र पी.एम.एफ.एम.ई. राजस्थान पोर्टल पर उपलब्ध है।
राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के जनरल मैनेजर श्रीमती आशु चौधरी ने बताया कि इस योजना का संचालन विपणन बोर्ड द्वारा विगत 3 वर्षो से किया जा रहा है जिसमें भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा सम्मिलित रूप से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य में एक प्रबंध यूनिट का संचालन भी किया जा रहा है। यह यूनिट इकाई को मशीन, आवेदन, ब्राण्डिंग व मार्केटिंग में भी सहयोग करती है। इस योजना में आवेदन पूर्ण रूप से निःशुल्क है तथा डिस्टिक रिसोर्स पर्सन को 20 हजार रूपये की राशि का भुगतान भी राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा किया जाता है।