कोटा: परिवहन विभाग के कर्मचारी कृष्ण कुमार सक्सेना का घुटनों का इलाज चल रहा है। ऐसे में उन्हें हर महीने डॉक्टर को दिखाना होता है। सक्सेना पिछले हफ्ते भारत विकास परिषद अस्पताल में घुटनों को दिखाने गए तो डॉक्टर ने उन्हें तीन तरह की दवाईयां लिखी जिनमें से एक तो अस्पताल के ड्रग काउंटर पर उपलब्ध थी लेकिन दो दवाईयां उन्हें बाहर से लेनी पड़ी। सक्सेना ने बताया कि मेडिकल स्टोर वाले से आरजीएचएस के तहत भुगतान के लिए कहा तो स्टोर संचालक ने मना कर दिया। ऐसे में उन्हें नकद पैसे देकर दवाईयां लेनी पड़ी। सक्सेना ने कहा कि आरजीएचएस में हर महीने फीस जमा होती है फिर भी पूरी दवाईयां नहीं मिल रही हैं।
केस 2 - शिक्षा विभाग के कर्मचारी श्रीनाथपुरम रोहित मीणा की मां का इलाज भी आरजीएचएस के तहत चल रहा है। रोहित ने अपनी मां को पिछले बुधवार को मेडिकल कॉलेज में दिखाया जिसके बाद दवाई लेने गए तो एक दवा बाहर से लेने के लिए कहा। लेकिन बाहर मेडिकल स्टोर संचालक ने भुगतान नहीं होने पर आरजीएचएस के तहत दवाई देने से मना कर दिया। ऐसे में आरजीएचएस कार्ड होने के बाद भी पैसे देकर दवाई लेनी पड़ी।
केस 3 - इसी तरह दादाबाड़ी निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि उन्हें डायबिटीज व बीपी की शिकायत है। फिजिशियन को दिखाया तो उन्होंने एक माह की दवा लिखी, लेकिन विज्ञान नगर कैमिस्ट के पास पहुंचे तो दवा देने से मना कर दिया। वे बोले हड़ताल चल रही है। जिसके बाद नकद में दवाइयां लेनी पड़ी।
राजस्थान सरकार की ओर से आरजीएचएस का भुगतान नहीं होने के बाद निजी मेडिकल स्टोर चालकों ने दवाईयां देना बंद कर दिया है। आरजीएचएस के तहत दवाईयां नहीं मिलने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोई दवा अस्पताल और उपभोक्ता भंडार पर नहीं मिलने पर उसे बाहर मेडिकल स्टोर से ले लिया जाता था लेकिन मेडिकल स्टोर संचालकों की ओर से बहिष्कार करने के कारण लोगों को नकद पैसे देकर दवाईयां लेनी पड़ रही है।
पिछले साल से हो रही समस्या
आरजीएचएस के तहत सरकार की ओर सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इलाज मुहैय्या कराया जाता है। जिसमें कर्मचारियों की ओर से हर महीने फीस जमा कराई जाती है। लेकिन पिछले साल से इस स्कीम के तहत ईलाज कराने में लोगों को काफी समस्याएं आ रही हैं। क्योंकि सरकार की ओर से कई फर्मों और मेडिकल स्टोर का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। जिसके चलते उन मेडिकल स्टोर और फर्मों ने आरजीएचएस के तहत ईलाज और दवाईयां मुहैय्या कराना बंद कर दिया है।
आरजीएचएस के तहत भुगतान नहीं होन से संबंधित शिकायत प्राप्त है ये सरकार के स्तर का मामला है। इसके लिए उच्च स्तर के अधिकारियों को अवगत कराया हुआ है।
- संगीता सक्सेना, प्रधानाचार्य व नियंत्रक, मेडिकल कॉलेज कोटा
आरजीएचएस के तहत कॉ-ओपरेटिव स्टोर और उपभोक्ता भंडार पर दवाईयां मिल रही हैं। वहां कोई समस्या नहीं आ रही है, यहां दवाई नहीं मिलने पर ही बाहर लेनी होती है जहां भुगतान के चलते संचालक मना कर रहे हैं।
- नवनीत महर्षि, अध्यक्ष, राजस्थान सेवानिवृत्त पुलिस कर्मचारी संगठन
आरजीएचएस के तहत उपभोक्ता भंडार तथा कॉ-ओपरेटिव स्टोर में निजी मेडिकल स्टोर की तुलना में भुगतान का तरीका अलग है। उपभोक्ता भंडार तथा कॉ-ओपरेटिव स्टोर में पैसा सीधा लाभार्थी के अकाउंट से कटता है वहीं निजी क्षेत्र में हर माह का बिल सरकार को भेजना होता है। आरजीएचएस पहले राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग के पास था लेकिन अब यह स्वास्थ्य विभाग के अधीन हो गया है।
- अतिका आजाद, अतिरिक्त निदेशक, राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग कोटा