कोटा को मिली एक्सप्रेस हाइवे पर छह एन्ट्री, सड़क निर्माण में अभी 6 माह का समय

Update: 2023-01-03 12:24 GMT

कोटा: भारतमाला प्रोजेक्ट परियोजना के पहले चरण के हिस्से के रूप में बनाए जा रहे दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे की कोटा जिले से होकर गुजरने वाली सड़क में 6 इंटरचेंज होंगे। इन छह स्थानों से हाई-वे पर प्रवेश किया जा सकेगा और निकासी भी हो सकेगी। सम्पूर्ण प्रदेश में कोटा ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक एन्ट्री व एक्जिट पॉइंट होंगे। यह एक्सप्रेस वे प्रदेश के 7 जिलों से होकर निकलेगा। इस एक्सप्रेस-वे के तहत कोटा जिले में 106 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है। जिले का पूरा कार्य दो भागों में बांटा गया है। इस सड़क के निर्माण कार्य का खर्चा लगभग 30 करोड़ रूपए प्रति किलोमीटर है। कोटा जिले में होने वाले 106 किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य में से 33.5 किलोमीटर के हिस्से में मुकुन्दरा टनल और चेचट तथा रामगंजमंडी के इलाकें आते है तो 72.5 किलोमीटर में दीगोद, लाडपुरा और कनवास तहसील के 47 गांव आते हैं। इनमे से 33.5 किलोमीटर हिस्से में से एक मुकुन्दरा टनल में लगभग 17 प्रतिशत सड़क ही बन पाई है तो दूसरे हिस्से में लगभग 65 प्रतिशत सड़क बन चुकी है। वहीं 72.5 किलोमीटर में से लगभग 35 किलोमीटर की सड़क बन चुकी है। मुकुन्दरा टनल में चल रहे सड़क निर्माण कार्य में फिलहाल सबसे बड़ी समस्या वेस्ट मटेरियल के निस्तारण का वन विभाग में अटका मामला है। जबकि कई स्थानों पर कम्पनी को मिट्टी की उपलब्धता को लेकर भी परेशान होना पड़ रहा है।

यह रहेंगे कोटा में एन्ट्री और एक्जिट के पॉइंट: जिले में जिन स्थानों पर एन्ट्री/एग्जिट की सुविधा दी जाएगी उनमें मंंडावरा, जालिमपुरा, कराड़िया, बालापुरा, गोपालपुरा तथा चेचट शामिल हैं। कोटा जिले के चेचट तथा रामगंज मंडी इलाके में सड़क निर्माण में अभी 6 माह का समय लगेगा तो मुकुन्दरा टनल के हिस्से की सड़क पूरा करने में 15 माह से अधिक का समय लगने की संभावना है। गौरतलब है कि दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे भारत सरकार की एक दूरदर्शी परियोजना है। यह देश के दो सबसे बड़े फाइनेंशियल हब, राजधानी दिल्ली और भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई को जोड़ेगा। आठ लेन का ये एक्सप्रेस-वे विश्व का पहला सबसे लम्बा एक्सप्रेस वे है जिसे बारहलेन तक बढ़ाया जा सकता है।

वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा: यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे है जिसके निर्माण में वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास की सुविधा दी जाएगी। इस एक्सप्रेस वे को भारतमाला प्रोजेक्ट परियोजना के पहले चरण के हिस्से के रूप में बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि ये एक्सप्रेस-वे सही मायनों में देश की प्रगति का एक्सप्रेस-वे साबित हो सकता है। इस एक्सप्रेस-वे पर हैलीपैड भी बनाने की योजना है। दोनो ओर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की भी योजना है। निर्माण पूरा होने पर जयपुर, किशनगढ़, अजमेर कोटा चित्तोड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जेन, इंदौर, इहमदाबाद तथा वडोदरा जैसे आर्थिक केन्द्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।

50 हावडा ब्रिज के निर्माण जितना स्टील हुआ इस्तेमाल: एक्सप्रेस-वे की नींव मार्च 2019 को रखी गई थी। इसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है। इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा । यह सीमेन्ट देश की सालाना उत्पादन क्षमता के दो फीसदी के बराबर है। इसेक निर्माण पर करीब एक लाख करोड़ रूपये का खर्च होने का अनुामन है। एक्सप्रेस-वे के दोनो ओर 49 लाख पेड़ लगाए जाने की संभावना हंै। एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी आएगी।

राज्य के 7 जिलों से होकर गुजर रहा है एक्सप्रेस-वे: करीब दस हजार करोड़ के एनएचएआई का ठेका जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड गुरग्राम और जीएबी कम्पनी मुम्बई ने लिया था। दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे 1380 किलोमीटर लम्बा है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे राजस्थान के 7 जिलों अलवर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, टोंक, बंूदी और कोटा से होकर गुजर रहा है। इस एक्सप्रेस-वे में 373 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान में आता है। वतमन में दिल्ली से मुम्बई की दूरी सड़क मार्ग से करीब 1510 किलोमीटर है। एक्सप्रेस वे बनने के बाद इसकी दूरी 1350 किलोमीटर रह जाएगी।

कोई ब्रेकर नहीं होगा 1380 किलोमीटर में: केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रीवा में बताया था कि दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे का काम दिसम्बर 2022 तक परा हो जाएगा। हालांकि मार्च 2023 तक ही इसके चालू होने की संभावना है। इस हाईवे के बनने से दिल्ली से मुम्बई का सफर सड़क मार्ग से 12 घंटे में पूरा हो सकेगा। यह एक्सप्रेस-वे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्टÑ के 8 बड़े शहरों को सीधे कनेक्ट करेगा। एक्सप्रेस वे में एंट्री/एग्जिट सिर्फ एंटरचेंज पर ही मिलगा। इस एक्सपे्रस-वे पर कोई ब्रेकर नहीं होगा। स्पीड अधिकतम 120 किलोमीटर प्रतिघंटा तय की गई है।

इनका कहना है:

फिलहाल सड़क निर्माण कार्य में मुकुन्दरा टनल में चल रही समस्या को छोड़कर दूसरी कोई समस्या नहीं है जो आई थी उन्हे दूर कर दिया गया था। वेस्ट मटेरियल के निस्तारण का मामला वन विभाग में लम्बित है।

- जे.पी. गुप्ता, परियोजना निदेशक, राष्टÑीय राजमार्ग प्राधिकरण, कोटा

लगभग आधा कार्य हो चुका है। कई स्थानों पर मिट्टी नहीं मिल पाती जो परेशानी का एक कारण है। जिले से होकर गुजरने वाली सड़क पर पेट्रोल पम्प, फूड प्लाजा आदि की सुविधाएं दी जाएगी।

- मनोज शर्मा, परियोजना निदेशक, राष्टÑीय राजमार्ग प्राधिकरण, सवाईमाधोपुर

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