जयपुर: राज्य में तापमान बढ़ने के साथ ही चार से पांच करोड़ यूनिट की मांग रोजाना बड़ी

Update: 2022-04-25 10:02 GMT

राजस्थान न्यूज़: भीषण गर्मी में बिजली की मांग बढ़ गई है। राजस्थान में पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग अप्रैल में औसतन 4 से 5 करोड़ यूनिट प्रतिदिन बढ़ गई है। हालांकि कोयला संकट से जूझ रहे विद्युत उत्पादन निगम ने राज्य के बिजली घरों में पूरी क्षमता के साथ उत्पादन का दावा किया है। यह दावा तब है जब उसके अनिकारी मॉनिटरिंग के लिए बिजलीघरों में ही डेरा डाले बैठे हैं। दूसरी तरफ आधा दर्जन इकाइयां वर्तमान में रखरखाव के नाम पर बंद है। ऐसे में अब शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती करने का फैसला किया गया है। इसकी तैयारी शुरू की जा चुकी हैं। उत्पादन निगम के अनुसार बिजली की मांग पूर्ति के लिए कोयला आधारित 5360 मेगावाट क्षमता की 17 इकाईयों से उत्पादन किया जा रहा है। भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग तुलनात्मक रूप से सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई है। इसको पूरा करने के लिए राज्य के बिजलीघरों में पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। निगम ने यह भी साफ किया है कि कोयले की कमी या अचानक कोई तकनीकी खामी आई तो उत्पादन घटेगा और प्रदेश को कटौती झेलनी पड़ सकती है।

गर्मी बढ़ने के साथ ही राज्यभर में बिजली की मांग भी बढ़ रही है। राज्य में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादक बारां जिले के सबसे बड़े छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में भी इन दिनों कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां प्रतिदिन 24 टन कोयले की खपत होती है, लेकिन इसके मुकाबले केवल 20 टन कोयले की आपूर्ति हो रही है। छबड़ा थर्मल की 4 में से 3 इकाइयों में बिजली उत्पादन हो रहा है। पिछले दिनों ईएसपी गिरने के कारण एक इकाई में बंद है।वहीं सुपर क्रिटिकल में दोनो इकाईयों को फुल लोड पर चलाकर बिजली उत्पादन किया जा रहा है। सुपर क्रिटिकल में 660-660 मेगावाट की दो इकाइयां हैं, लेकिन यहां अब केवल 2 दिन का कोयला स्टॉक में है। यहां प्रतिदिन 15 हजार टन कोयले की खपत होती है। राहत की बात यह है कि यहां पर प्रतिदिन 3 से 4 कोयले की रैक आ रही है, लेकिन अगर कोई दिन रैक नही आ पाई तो यहां बिजली उत्पादन बंद होने की आशंका है। छबड़ा क्रिटिकल थर्मल में 250 मेगावाट की 4 इकाइयां हैं। इनमें से 3 इकाइयों में बिजली उत्पादन किया जा रहा है। यहां वर्तमान में 5 दिन के कोयले का स्टॉक है। यहां पर प्रतिदिन 8 कोयले की रैक आ रही है, जिससे बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।

छबड़ा थर्मल राज्य में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करता है। ऐसे में अगर यहां कोयले का संकट गहराया तो बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है। छबड़ा थर्मल को प्रतिदिन 13 रैक कोयले की आवश्यकता है। इसके मुकाबले वर्तमान में 10 से 12 रैक प्रतिदिन की सप्लाई हो रही है। अगर यहां पर्याप्त रूप से कोयले की आपूर्ति नहीं होती है, तो बिजली उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा व बिजली संकट गहरा सकता है। सुपर क्रिटिकल थर्मल प्लांट में 4 लाख टन कोयला स्टॉक करने की जगह है, जिससे 27 दिन तक थर्मल प्लांट को चलाया जा सकता है, लेकिन अब केवल 2 दिन का कोयला ही स्टॉक में है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने वर्ष 2020-21 में 29,141 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया था, जिसकी तुलना में 2021-22 में 34,287 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन किया गया। अभी कोटा की 210 मेगावाट की इकाई, छबड़ा की 250-250 मेगावाट की दो इकाईयां, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल की 660 मेगावाट की इकाई तकनीकी कारणों से बंद है। इन सभी इकाईयों में मरम्मत का काम चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही इनसे बिजली का उत्पादन शुरू किया जाएगा। प्रदेश में 7580 मेगावाट क्षमता के कोल आधारित पॉवर प्लांट में बिजली के उत्पादन के लिए रोजाना 27 रैक कोयले की जरूरत है। इसके उलट उत्पादन निगम को कोल इंडिया लिमिटेड से अनुबंधित 11.33 रैक प्रतिदिन के स्थान पर 10.5 रैक की ही आपूर्ति हो रही है। सप्लाई बढ़ाने के लिए उत्पादन निगम की ओर से अग्रिम भुगतान भी किया जा रहा है।

एनआरएलडीसी व एनआरपीसी के अनुसार बिजलीघरों का रखरखाव जरूरी है। कई सालों से बिजली की मांग बढ़ने के कारण प्रदेश के पॉवर प्लांट्स की कई इकाईयों का तीन साल से वार्षिक रखरखाव नहीं हुआ है। वर्तमान में कालीसिंध की 600 मेगावाट एवं सूरतगढ़ की 250 मेगावाट क्षमता की इकाईयों को मेंटीनेंस के लिए मई के पहले सप्ताह तक बंद किया गया है।

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