जयपुर: हाईकोर्ट पहुंची निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर, कहा - तथ्यों से परे जाकर निलंबन किया, 29 को सुनवाई

तथ्यों से परे जाकर निलंबन किया, 29 को सुनवाई

Update: 2023-09-26 11:17 GMT
जयपुर नगर निगम हेरिटेज की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर ने अपने निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में मुनेश द्वारा कहा गया है कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत व तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है। हाईकोर्ट मुनेश की याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई करेगा।
स्वायत्त शासन विभाग ने 22 सितंबर को मुनेश गुर्जर को प्राइमरी इंक्वायरी रिपोर्ट के बाद निलंबित कर दिया था। इससे पहले भी 5 अगस्त को सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित किया था। पहले निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
5 अगस्त को किया था निलंबित
सरकार ने इससे पहले मुनेश गुर्जर को 5 अगस्त को पद से निलंबित किया था। मुनेश के पति सुशील गुर्जर को 4 अगस्त को एसीबी ने रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सरकार ने मुनेश को पद से निलंबित कर दिया। मुनेश गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 23 अगस्त को कोर्ट ने सरकार के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन यानी 24 अगस्त को मुनेश गुर्जर ने दोबारा मेयर का कार्यभार संभाला था।
मेयर रहते हुए न्यायिक जांच को कर सकती है प्रभावित
स्वायत्त शासन विभाग ने अपने निलंबन आदेश में कहा है कि मेयर हाउस पर ट्रैप की कार्रवाई के बाद विभाग द्वारा प्रकरण की जांच करवाई गई। इसमें मेयर को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना गया है।
रिपोर्ट में कहा गया पट्टे के डॉक्यूमेंट्स का मेयर हाउस में पाया जाना, पट्टे के डॉक्यूमेंट लंबे समय से लंबित होना और मेयर के घर से 40 लाख रुपए कैश मिलना। इस बात को स्पष्ट करता है कि पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने और रिश्वत लेने में मेयर की स्पष्ट संलिप्तता है।
वहीं, मामले की न्यायिक जांच विधि विभाग में लंबित है। ऐसे में मुनेश गुर्जर के मेयर के पद पर बने रहने से लंबित न्यायिक जांच को प्रभावित करने की संभावना है।
पहले हाईकोर्ट ने लगाई थी निलंबन आदेश पर रोक
जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर के पिछले निलंबन पर 23 अगस्त को हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने रोक लगाते हुए कहा था कि सरकार बिना प्राथमिक जांच किए मेयर का निलंबन नहीं कर सकती है।
इस निलंबन में सरकार ने जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, वह पूरी तरह से गलत है। कोर्ट की रोक के बाद 24 अगस्त को मुनेश गुर्जर ने दोबारा पदभार संभाला था। वहीं सरकार ने 5 अगस्त के निलंबन आदेश को वापस ले लिया था।
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