Jaipur: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निर्बाध रूप से स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए सभी आवश्यक
Jaipurजयपुर। प्रदेश में अतिवृष्टि की स्थिति को देखते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शहरों और गांवों में निर्बाध पेयजल आपूर्ति और पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान किये गए हैं। सभी विभागीय अधिकारियों को बाढ़ की स्थिति में पेयजल की सुचारू आपूर्ति के लिए सभी व्यवस्थाएं पुख्ता करने के लिए कहा गया है।
विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने इस संबंध में सोमवार को वीसी के माध्यम से बैठक लेकर सभी मुख्य अभियंता, अतिरिक्त मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किये। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान बिजली लाइनों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना के चलते जलापूर्ति बाधित होने की आशंका बनी रहती है। इस स्थिति से बचने के लिए जेनरेटर सेट किराए पर लिए जाएं तथा वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पानी के टैंकरों की तैनाती की जाए। साथ ही विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों के साथ समन्वय कर बिजली आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट होने पर तुरंत आपूर्ति बहाल किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि बाढ़ के जल की निकासी के लिए डीजल और बिजली से चलने वाले पंपिंग सेटों को चालू हालत में रखा जाए एवं मलेरिया, हैजा जैसे जल जनित एवं संक्रामक रोगों तथा त्वचा रोगों आदि के प्रसार को रोकने के लिए रसायनों का भंडारण किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को नदियों या नालों के पास से गुजरने वाली महत्वपूर्ण पाइपलाइनों का निरीक्षण करने के निर्देश दिये। साथ ही नदियों, बांधों, टैंकों के ओवरफ़्लो या टूटने की सबसे अधिक संभावना वाले स्थानों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा, ताकि इन स्थानों पर पाइप लाइनों, स्रोतों आदि को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सके।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सचिव ने विशेष तौर पर अनुपयोगी बोरवेल एवं ट्यूबवेल में छोटे बच्चों के गिरने की घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव उपाय करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि खुले ट्यूबवैलों को फेरो कवर या किसी अन्य उपयुक्त माध्यम से कवर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में जलापूर्ति के पहले डिसइन्फेक्शन के लिए समुचित सावधानी बरती जानी चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों द्वारा पानी के परिवहन के दौरान भी उचित क्लोरीनीकरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि वितरण प्रणालियों में लीकेज की मरम्मत तत्काल की जाए तथा जल के प्रदूषित होने की स्थिति में प्रदूषण के स्रोत की पहचान कर उसे तत्काल दुरुस्त करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने सीवेज, नालियों और औद्योगिक अपशिष्टों की डंपिंग के संबंध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों के साथ समन्वय कर समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करने तथा रासायनिक और जीवाणु संबंधी परीक्षणों के लिए नमूने नियमित रूप से प्रयोगशालाओं को भेजने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि स्रोतों के दूषित होने पर प्रभावित क्षेत्रों में जल परिवहन कर जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।