सीकर नवरात्रा को लेकर सीकर में भी बंगाल के कारीगर दिन-रात एक कर दुर्गा माता की मूर्तियों को आकार देने में लगे हैं। 26 सितंबर को नवरात्रा की स्थापना के साथ ही मूर्तियों की बुकिंग होने से कारीगरों के चेहरे खिले हुए हैं। कोरोना काल ने कारीगरों की हालत खस्ता कर दी थी। कोराना काल में मूर्तियां बनीं तो सही लेकिन उचित खरीददार नहीं मिला। इस बार मूर्तियों के लगातार मिल रहे ऑर्डर के बाद कारीगर दिन-रात एक कर काम कर रहे हैं। नवरात्रा को लेकर सीकर में भी मूर्तियां बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। कारीगर 18 घंटे काम कर मूर्तियों को बनाने के लिए जुटे हुए हैं। कारीगरों का कहना है कि उनका पुश्तैनी काम यही काम है और इसी काम के कारण उनका घर चलता है।
सीकर में मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने वाले कारीगर बंगाल के हैं। इसलिए बंगाल में बनने वाली मां दुर्गा की तर्ज पर मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है। कारीगर का कहना है कि मां दुर्गा के इस रूप की काफी डिमांड रहती है। कारीगर साधन पाल बंगाली बताते हैं कि 4-5 महीने का त्यौहारी सीजन रहता है। इस दौरान दिन-रात एक कर काम करते हैं। अभी नौ कारीगर मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं। जिसमें दुर्गा माता के साथ भगवान गणेश की मूर्तियां भी शामिल हैं। कारीगर साधनपाल ने बताया कि पहले मिट्टी और लकड़ियों से मूर्ति को आकार दिया जाता है। तीन दिन सुखाने के बाद 2 दिन तक मूर्ति को सुन्दर बनाने के लिए श्रृंगार किया जाता है। पांच दिन बाद मूर्ति तैयार होती है। उन्होंने बताया कि अभी 72 मूर्तियां बनाई गई हैं जिनकी बुकिंग हो चुकी है। इसके साथ ही 72 ही भगवान गणेश की मूर्तियां हैं जो मां दुर्गा के साथ दी जाती हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 25 साल से यह काम कर रहे हैं। शुरुआत में दो कारीगरों से काम शुरू किया था, लेकिन डिमांड बढ़ने के बाद अब नौ कारीगर मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। पांच से 15 हजार तक मूर्ति की कीमत है। साधनपाल ने बताया कि कोरोना काल में उन्हें काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ा। उस समय को याद कर वह सहम जाते हैं क्योंकि कोरोना में उनका काम पूरी तरह से ठप हो गया था। हालांकि इक्का-दुक्का मूर्तियां निकलीं लेकिन वो नाकाफी थीं। इस बार नवरात्रा पर बुकिंग को देखकर उनको राहत मिली है।