चेक बाउंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश की खारिज, आपराधिक कार्यवाही फिर शुरू करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की एक ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है,
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की एक ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है, कि चेक बाउंस के एक मामले में आपराधिक कार्यवाही फिर से शुरू की जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि चेक इस टिप्पणी के साथ वापस हो गया था कि संबंधित खाता फ्रीज है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ ने यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनाया। हाईकोर्ट ने मामले में आपराधिक कार्यवाही खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। बैंक मैनेजरों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसा कोई खाता बैंक में नहीं खुला था।
पीठ ने कहा, हैरत की बात है कि एक ओर बैंक मैनेजरों ने गवाही दी कि ऐसा कोई खाता बैंक में नहीं खुला। वहीं, दूसरी ओर प्रतिवादी की ओर से अपीलकर्ता के पक्ष में आहरित चेक को खाता फ्रीज की टिप्पणी के साथ लौटा दिया गया था।
किसी भी स्थिति में कार्यवाही खारिज नहीं होनी चाहिए थी
पीठ ने आगे कहा कि चेक वापसी पर जो टिप्पणी की गई है उससे माना जा सकता है कि बैंक में खाता मौजूद था। यह ऐसा मामला है जिसे ट्रायल कोर्ट को गंभीरता से विचार करना होगा। सभी पक्षों को एक पूर्ण ट्रायल का सामना करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे केवल बैंक मैनेजरों के सबूतों पर नहीं देखा जाना चाहिए। किसी भी स्थिति में यह ऐसा मामला नहीं था जिसकी कार्यवाही खारिज कर दी जाए। ऐसे में हम हाईकोर्ट की ओर से पारित आदेश को खारिज करते हैं। हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने के साथ आदेश में ट्रायल कोर्ट को यह निर्देश भी दिया गया कि वह मामले की सुनवाई फिर से शुरू करे और इसे कानून के अनुसार तेजी से और संभव हो तो छह महीने की अवधि के भीतर समाप्त किया जाए।