राजस्थान में बदमाशों के हौसले इतने बुलंद, मंत्री, आईएएस और आईपीएस जैसे हाई प्रोफाइल लोगों के नाम से ठगी करने में जुटे
राजस्थान में बदमाशों के हौसले इतने बुलंद
जयपुर. राजस्थान में इन दिनों साइबर ठगों ने ठगी का एक नया तरीका अपना लिया है और ठगों के निशाने पर राजस्थान के मंत्री, आईएएस व आईपीएस अधिकारी हैं. ठग सीधे तौर पर मंत्री, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को अपना शिकार नहीं बना रहे, बल्कि उनकी तस्वीर और नाम का इस्तेमाल कर उनके विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को ठगने का प्रयास कर रहे (Cyber thugs looting people in Jaipur) हैं.
शुरुआत में विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी ठगी का शिकार भी हुए, लेकिन बाद में जागरूकता के चलते व लगातार सामने आ रहे इस तरह के प्रकरणों के कारण ठगी की वारदातें होना बंद हो गई. हालांकि ठग अभी भी लगातार अलग-अलग अधिकारियों और मंत्रियों के नाम पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं. ताज्जुब की बात यह है कि अनेक प्रकरण सामने आने के बाद और पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद भी पुलिस अब तक एक भी प्रकरण में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. पुलिस भी केवल आमजन से जागरूक रहने और ठगों के झांसे में आने से बचने की अपील कर रही है.
मंत्री, आईएएस और आईपीएस के नाम व तस्वीर का इस्तेमाल कर ठगी कर रहे बदमाश.
व्हाट्सएप और फेसबुक पर डीपी लगा कर करते हैं रुपयों की डिमांड: मंत्री, आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के नाम पर राशि मांगने के जितने भी मामले अब तक सामने आए हैं उन सभी मामलों में ठगों ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर संबंधित व्यक्ति की फोटो लगाकर और उनके नाम का प्रयोग कर लोगों से ठगी का प्रयास किया है. सभी मामलों में ठगों का तरीका बिल्कुल एक सा है. सबसे पहले ठग लोगों को नॉर्मल मैसेज भेज कर उनके हाल चाल जानते हैं. या फिर मीटिंग में होने की बात लिखकर फोन कॉल नहीं करने और इमरजेंसी होने की बात लिख कर रुपयों की डिमांड करते हैं. जिस भी व्यक्ति को इस तरह का मैसेज प्राप्त होता है, उसके लिए नंबर तो अनजान होता है लेकिन उस नंबर पर लगी हुई डीपी किसी मंत्री या अधिकारी की होती है. ऐसे में मैसेज प्राप्त करने वाला व्यक्ति ठगों के झांसे में आ जाता है और उनकी बातों पर विश्वास कर रुपए ट्रांसफर कर देता है. ठग बेहद शातिराना तरीके से केवल उसी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को इस तरह के मैसेज भेजते हैं, जिस विभाग से संबंधित मंत्री या अधिकारी की फोटो का प्रयोग ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए करते हैं.
अब तक इन मंत्री और अधिकारियों की फोटो का इस्तेमाल कर किया ठगी का प्रयास
साइबर ठगों ने मई में राज्य मंत्री जाहिदा खान और शासन सचिव सीनियर आईएएस अधिकारी मुग्धा सिन्हा की फोटो व नाम का इस्तेमाल कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर रुपयों की डिमांड की. हालांकि समय रहते इसकी जानकारी अधिकारियों ने जाहिदा खान और मुग्धा सिंह को दी, जिसके बाद जयपुर के शास्त्री नगर थाने में शिकायत दर्ज की गई.
3 जून को साइबर ठगों ने कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल की फोटो का इस्तेमाल कर व्हाट्सएप डीपी लगा उनके नाम से प्रोफाइल क्रिएट की. इसके बाद ठगों ने सचिवालय में कई अधिकारियों और कर्मचारियों को मैसेज भेज कर रुपयों की डिमांड की. हालांकि सतर्कता के चलते कोई भी ठगों के झांसे में नहीं आया और तुरंत इसकी जानकारी कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल को दी गई. इसके बाद जयपुर के साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई.
मई माह में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की फोटो और नाम का प्रयोग कर ठगों ने फेक प्रोफाइल क्रिएट की और आयोग के अधिकारी व कर्मचारी को मैसेज भेज कर रुपयों की डिमांड की. जिस पर अधिकारियों ने तुरंत इसकी सूचना संगीता बेनीवाल को दी और उन्होंने जयपुर के साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई.
अप्रैल माह में ठगों ने राजस्थान पुलिस की मुखिया डीजीपी एमएल लाठर की फोटो और नाम का प्रयोग करते हुए व्हाट्सएप पर फर्जी आईडी क्रिएट की. इसके बाद पुलिस के कुछ अधिकारी, कर्मचारी और उनके जानकारों को मैसेज भेज कर रुपयों की डिमांड की गई. जिसकी शिकायत कुछ अधिकारियों ने डीजीपी को की और फिर साइबर थाने में शिकायत दर्ज की गई.
मई माह में ही साइबर ठगों ने मुख्य सचिव उषा शर्मा की फोटो और नाम का इस्तेमाल कर व्हाट्सएप पर फेक आईडी क्रिएट की. इसके बाद सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को मैसेज भेज कर रुपयों की डिमांड की गई. कुछ अधिकारियों ने इसकी जानकारी उषा शर्मा को दी जिसके बाद साइबर थाने में शिकायत दर्ज की गई.
अप्रैल माह में ठगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव सीनियर आईएएस कुलदीप रांका की फोटो और नाम का गलत इस्तेमाल करते हुए व्हाट्सएप पर फेक प्रोफाइल क्रिएट की. इसके बाद ठगों ने कुलदीप रांका के ओएसडी को ही मैसेज और कॉल कर रुपयों की डिमांड कर डाली. जिस पर ओएसडी ने इसकी जानकारी कुलदीप रांका को दी और साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई.
इंटरनेट कॉलिंग के जरिए विधायकों और मंत्रियों को दी जा रही धमकी: बदमाश पिछले कुछ समय से राजस्थान के मंत्री और विधायकों को इंटरनेट कॉलिंग के जरिए लगातार जान से मारने की धमकी देने और रंगदारी की मांग कर रहे (Extortion demand by internet calling) हैं. पुलिस बदमाशों तक न पहुंच सके, इसके लिए बदमाश इंटरनेट कॉलिंग का सहारा ले रहे हैं. इसके साथ ही व्हाट्सएप के जरिए भी कॉल कर और मैसेज भेज कर धमकी दी जा रही है. जिन नंबरों का प्रयोग व्हाट्सएप आईडी क्रिएट करने के लिए किया जा रहा है वह सभी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदी गई सिम पर एक्टिवेट हैं. ऐसे में पुलिस को उन बदमाशों तक पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जो सिम का प्रयोग कर धमकी देने का काम करते हैं.
इन मंत्री और विधायकों को दी गई धमकी:
राज्यसभा चुनाव से पहले जब राजस्थान सरकार ने सभी मंत्रियों और विधायकों की बाड़ेबंदी कर रखी थी, उसी वक्त कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल को बदमाशों ने इंटरनेट कॉलिंग कर परिवार के नाम से धमकी देकर 70 लाख रुपए की रंगदारी मांगी. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसओजी को इसकी जांच सौंपी गई. जिस नंबर से फोन किया गया उसके मलेशिया से ऑपरेट किए जाने की जानकारी पुलिस को लगी. हालांकि प्रकरण में पुलिस ने बीकानेर में कार्रवाई करते हुए मलेशिया में रहने वाले एक युवक को मैसेज भेज कर और फोन करवा कर गोविंद राम मेघवाल को धमकी दिलवाने वाले दो युवकों को गिरफ्तार कर एक बाल अपचारी को निरुद्ध किया.
गत दिनों पूर्व हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर सीट से कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान के बाड़मेर से व्हाट्सएप पर तीन बार मैसेज भेज कर चेतावनी दी गई कि या तो सुधर जाओ नहीं तो तुम्हारा हाल भी मूसेवाला जैसा होगा. मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने राजस्थान पुलिस के आला अधिकारियों से मदद मांगी और टेक्निकल टीम के सहयोग से बाड़मेर के गुडामालानी से आरोपी को गिरफ्तार किया गया.
इसी प्रकार से वर्ष 2021 में बहरोड के विधायक बलजीत यादव को बदमाशों ने इंटरनेट कॉल और सोशल मीडिया के जरिए मैसेज भेज कर जान से मारने की धमकी दी थी. हालांकि पुलिस इंटरनेट कॉल को ट्रेस नहीं कर सकी, लेकिन सोशल मीडिया पर दी गई धमकी को ट्रेस करते हुए बदमाश तक पुलिस पहुंची और उसे गिरफ्तार किया गया.
सोशल इंजीनियरिंग के जरिए कर रहे ठग बड़ा खेल: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि ठग इन दिनों सोशल इंजीनियरिंग के जरिए इस तरह की ठगी का प्रयास कर रहे हैं. व्हाट्सएप पर मंत्री, विधायक और अन्य अधिकारियों की फोटो लगाकर जिस प्रकार से ठगी करने की कोशिश की जा रही है, उसके पीछे ठग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदी गई सिम का प्रयोग कर रहे हैं. ठग नरेगा में काम करने वाले मजदूर या ग्रामीणों को विभिन्न तरफ से झांसे में लेकर उनका थंब इंप्रेशन लेते हैं और फिर उस थंब इंप्रेशन के जरिए आधार की जानकारी हासिल कर उन दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड जारी करवाते हैं. फर्जी तरीके से जारी करवाए गए सिम कार्ड के नंबरों का प्रयोग कर ठगी, ब्लैकमेलिंग और एक्सटॉर्शन की वारदात को अंजाम देते हैं. इस तरह की ठगी से बचने का एकमात्र तरीका है कि जब भी किसी अनजान नंबर से मैसेज या कॉल प्राप्त हो, तो उस पर किसी भी तरह का कोई रिप्लाई ना करें. जिस व्यक्ति की फोटो लगाकर संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा हो, उस व्यक्ति के पर्सनल नंबर पर तुरंत संपर्क करें.
वर्चुअल नंबर के जरिए की जा रही इंटरनेट कॉलिंग: भारद्वाज ने बताया कि बदमाश इंटरनेट कॉलिंग करने के लिए वर्चुअल नंबर का प्रयोग करते (Thugs use virtual numbers for calling) हैं. कुछ वेबसाइट अलग-अलग देशों में इंटरनेट कॉल करने के लिए कुछ घंटों के स्लॉट में पेमेंट करने के बाद वर्चुअल नंबर प्रोवाइड करती हैं. जिसके जरिए किसी भी व्यक्ति को इंटरनेट कॉल किया जा सकता है, क्योंकि नंबर वर्चुअल होते हैं ऐसे में इन को ट्रैस कर पाना बिल्कुल नामुमकिन होता है. अधिकांश बदमाश लोगों को धमकी देने और रंगदारी मांगने के लिए इस तरह के वर्चुअल कॉल का प्रयोग करते हैं. इससे बचने का एकमात्र तरीका यही है कि जब भी अनजान कोड और नंबर से कॉल आए तो उसे रिसीव नहीं करें. ऐसे नंबर से कॉल आने पर जब व्यक्ति अपनी ओर से उस नंबर पर कॉल लगाने का प्रयास करता है तो कॉल नहीं लगता है. वर्चुअल नंबर से की गई इंटरनेट कॉल वन साइड होती है. ऐसे में उस नंबर पर रिवर्स कॉल नहीं की जा सकती.