हीटवेव कोल्डवेव को हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के दिए निर्देश

सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं

Update: 2024-05-31 04:28 GMT

जयपुर: देशभर में भीषण गर्मी और हीटवेव से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। लेकिन सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। यह टिप्पणी आज राजस्थान हाई कोर्ट ने हीटवेव से होने वाली मौतों के मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए की। अदालत ने राज्य सरकार को हीटवेव से होने वाली मौतों के मामले में उचित मुआवज़ा देने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने लोगों को राहत देने के लिए सरकार को कई दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि वह राजस्थान जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत तैयार हीटवेव एक्शन प्लान को प्रभावी रूप से लागू करें। उन सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए, जहां लोगों की ज्यादा आवाज़ाही रहती हैं।

2015 में केंद्र सरकार बिल लेकर आई, उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है: हाई कोर्ट ने कहा कि 18 दिसंबर 2015 को केंद्र सरकार ने मृत्यु निवारण एवं शीत लहर विधेयक 2015 राज्यसभा में पेश किया था, लेकिन यह विधेयक आज तक कानून का रूप नहीं ले सका. 8-9 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार इस बिल को सदन में पास नहीं करा पाई है. ये बिल अभी भी होल्ड पर है.

पृथ्वी ईश्वर का अनमोल उपहार है, इसकी रक्षा करनी होगी: जस्टिस अनूप ढंड ने अपने आदेश की शुरुआत में लिखा कि पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन मौजूद है। हमारे पास दूसरे ग्रह का कोई विकल्प नहीं है जिस पर हम शिफ्ट हो सकें. उन्होंने आदेश में लिखा कि पृथ्वी हमारे लिए ईश्वर का सबसे अनमोल उपहार है। इस धरती ने हमें सब कुछ दिया है। जैसे एक मां अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है, वैसे ही धरती हमारा पालन-पोषण करती है, इसलिए हम इसे धरती माता कहते हैं, लेकिन आज धरती संकट में है। हमें इस धरती मां को बचाना है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित वातावरण में रह सकें। यदि हम आज असफल हो गए, तो हम भावी पीढ़ियों को हमेशा के लिए फलते-फूलते देखने का अवसर खो देंगे।

हीटवेव कार्ययोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करें: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हीटवेव एक्शन प्लान प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया. जिन सड़कों पर अधिक शोर हो उन सड़कों पर पानी का छिड़काव करना चाहिए। सड़कों एवं राजमार्गों पर छाया के लिए स्थान चिन्हित किये जायें। वहां पेयजल, ओआरएस और शीतल पेय जैसे आम पना की व्यवस्था की जाये. मजदूरों, ठेला और रिक्शा चालकों को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक आराम की इजाजत दी जाए. अत्यधिक गर्मी की स्थिति में लोगों को सचेत करने के लिए थोक संदेशों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अलर्ट भेजा जाना चाहिए।

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