दौसा बांदीकुई ग्रामीण वैश्विक महामारी दो साल से विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चांदबावड़ी आभानेरी पर भी कोरोना की मार पड़ रही थी। आलम यह था कि इस महामारी के कारण यहां का पर्यटन कारोबार ठप पड़ गया था। लेकिन अब इस महामारी के बाद यहां के पर्यटन कारोबार में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है. इसके पीछे मुख्य कारण चांदबावड़ी को देखने रोजाना 400 सैलानी आना है। इससे जहां पुरातत्व विभाग को रोजाना करीब 65 हजार रुपये का राजस्व मिल रहा है। बावड़ी के बाहर कोरोना में बर्बाद हुए कारोबार को भी फिर से पंख लगने लगे हैं. वे रोजाना 20 से 25 हजार रुपए का कारोबार भी कर रहे हैं। 8वीं और 9वीं सदी में बनी चांदबावड़ी की खूबसूरती के कारण यह देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। कोरोना से पहले यहां एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था कि देश-विदेश से पर्यटक यहां देखने नहीं आते थे। लेकिन मार्च 2020 में आई कोरोना महामारी ने चंदबावड़ी पर ऐसा प्रहार किया कि कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली चांदबावड़ी पर्यटकों का इंतजार करने लगी।
महामारी के कारण विदेशी उड़ानें बंद होने से विदेशी पर्यटकों का आना बंद हो गया। करीब ढाई साल तक इस महामारी की मार झेलने के बाद अब चांदबावड़ी फिर से पर्यटकों से गुलजार है। यहां इन दिनों रोजाना 400 पर्यटक आ रहे हैं। गौरतलब है कि इनमें से आधे यानी 200 पर्यटक विदेशी हैं। कोरोना से पहले यहां रोजाना 300 पर्यटक आते थे। चांदबावड़ी के बाहर करीब 10 दुकानें हैं। अब पर्यटकों के आने से रोजाना 20 से 25 हजार रुपए का कारोबार भी हो रहा है।
विदेशी पर्यटकों के आने से बढ़ा राजस्व चंदबावड़ी को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों के आने से पुरातत्व विभाग की भी आय में वृद्धि हुई है। लंबे समय तक विदेशी उड़ानें बंद रहने के कारण विदेशी पर्यटक यहां नहीं आए। हालांकि उस समय भारतीय पर्यटक आया करते थे। लेकिन चंदबावड़ी देखने के लिए भारतीय पर्यटक से टिकट के 20 रुपये और 25 रुपये के ऑनलाइन शुल्क के कारण उस समय पुरातत्व विभाग को रोजाना 2 से 3 हजार रुपये राजस्व के रूप में मिलते थे। लेकिन अब विदेशी पर्यटकों के आने से राजस्व 65 हजार रुपये तक पहुंच गया है।