जयपुर,। राजस्थान के लोग अपनी हरियाली के प्रति बेहद जागरूक हैं। राजस्थान में 32,869 वर्ग किलोमीटर वन भूमि है, जो हमारी कुल भूमि का 9.60 प्रतिशत है। राज्य में तीन नेशनल पार्क, 26 वन्यजीव अभ्यारण्य, 19 संरक्षण रिजर्व और चार बाघ परियोजनाएं हैं। राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत राजस्थान की हरियाली के संरक्षण और विकास के बारे में काफी गंभीर हैं। कोविड-19 काल के दौरान हर घर में तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय व कालमेघ जैसे औषधीय पौधों का वितरण उनकी अनूठी पहल थी। इस योजना के तहत वर्ष 2021-22 में 518 लाख से अधिक तथा वर्ष 2022-23 में 127 लाख पौधों का वितरण किया गया था। राजस्थान को अपनी पर्यावरण अनुकूल पहलों के लिए देश के अन्य सभी राज्यों के लिए आदर्श राज्य बनना चाहिए। यह कहना था राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड के अध्यक्ष, राजीव अरोड़ा का।
उन्होंने आज 'थिंक ग्रीन एंड एम्ब्रेस ग्रीन - फ्यूचर सस्टेनेबिलिटी रोडमैप’ विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में विशेष संबोधन के दौरान ये विचार रखे। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह कॉन्फ्रेंस कंफैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई।
अरोड़ा ने आगे कहा कि ’गोइंग ग्रीन’ की शुरुआत ग्रीन एक्ट करने से नहीं होती है, बल्कि चेतना में बदलाव के साथ इसकी शुरुआत होती है। एक वैश्विक सर्वेक्षण में बताया गया था कि वैश्विक स्तर पर 60 देशों के 55 प्रतिशत उपभोक्ता पर्यावरण के प्रति जागरूक कंपनियों की वस्तुओं के लिए अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं। अरोड़ा ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों हेतु दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाने के लिए हरियाली के बारे में सोचना और इसे अपनाना आवश्यक है, क्योंकि हमें पृथ्वी अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली है, बल्कि इसे हम अपने बच्चों से उधार लेते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष, नवीन महाजन ने राज्य सरकार द्वारा की पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य सरकार की नई ई-वेस्ट नीति की बात करते हुए कहा कि यह नीति न सिर्फ वैश्विक मानकों के अनुसार ई-वेस्ट को प्रोसेस करने में मदद करेगी, बल्कि सोने व चांदी जैसी कीमती धातुओं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटिनम एवं पैलेडियम के नुकसान को रोकने में भी मददगार साबित होगी। श्री महाजन ने आगे कहा कि जब आम नागरिक अपने आसपास के वायु प्रदूषण के स्तर को जानते हैं तो यह उन्हें जिम्मेदार नागरिक के रूप में व्यवहार करने और प्रदूषण को कम करने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। इस उद्देश्य से अब राज्य भर में 33 रियल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटर काम कर रहे हैं।
इससे पूर्व सीआईआई के अध्यक्ष एवं मनु यंत्रालय प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, अभिनव बांठिया ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह कॉन्फ्रेंस अब तक की प्रथम कार्बन न्यूट्रल कॉन्फ्रेंस है। ट्रांसपोर्टेशन व एनर्जी के उपयोग आदि के संदर्भ में कार्बन फुटप्रिंट की गणना की गई और इस खपत को बेअसर करने की पहल की जाएगी। इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 15 कार्बन न्यूट्रल पॉइंट अर्जित किए गए। कॉन्फ्रेंस का स्थान भी इस तथ्य को ध्यान में रखकर चुना गया है कि आईटीसी राजपूताना एक ग्रीन होटल है। उन्होंने आगे कहा कि सीआईआई की 'थिंक ग्रीन' पहल लोगों को प्लेनेट के कल्याण को प्राथमिकता देने तथा पर्यावरण के प्रति सचेत विकल्प बनाने के सूक्ष्म रिमाइंडर के रूप में कार्य करती है। ग्रीन कंपनी रेटिंग कंपनियों को सस्टेनेबिलिटी का अपना सफर जारी रखने हेतु एक रोडमैप प्रदान करती है।