दशहरा मैदान के पशु मेला स्थल पर फिर हुआ अतिक्रमण, एक माह पूर्व हटाया था अतिक्रमण

Update: 2023-05-06 14:42 GMT

कोटा: नगर निगम की ओर से शहर में अतिक्रमण हटाने का अभियान जोरो पर चल रहा है। लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने से जहां जहां से अतिक्रमण हटाए वहां पुन: लोगों अतिक्रमण कर लिए है। नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी के चलते दशहरा मैदान के पुराने पशु मेला स्थल पर एक माह में ही फिर से अतिक्रमण का ग्रहण लग गया है। पशु मेला स्थल पर प्रवेश करते ही बांयी तरफ बड़ी संख्या में टापरियां बन गई हैं। इनमें घुमंतु जाति के लोग रह रहे हैं। वर्तमान में काफी बड़े एरिया में टापरियां ही टापरियां नजर आ रही हैं। पशु मेले के दायी तरफ बड़ी संख्या में पशु पालकों ने अपने डेरा डाल लिया हैं। वे स्वयं भी वहां टेंट लगाकर व टापरी बनाकर रहने लगे हैं और वहीं उन्होंने अपने पशु बांधे हुए हैं। ये पशु पालक यहां से पशुओं का कारोबार भी कर रहे हैं।

मैदान में सीवरेज के पाइप डाल कर लिया अतिक्रमण: कोटा में ग्रीन सिटी क्लीन सिटी का स्लोगन कहीं नजर नहीं आ रहा है। दशहरा मैदान का पशु मेला स्थल खाली पड़ा होने से उस पर अतिक्रमण तो हो ही रहा है। आरयूआईडीपी द्वारा शहर में किए जा रहे काम के तहत उपयोग में आने वाले सीवरेज के छोटे-बड़े पाइप व टैंक के ढक्कन तक मैदान में डाल दिए हैं। वह भी थोड़ी जगह पर नहीं मैदान के करीब एक चौथाई से अधिक हिस्से में दोनों तरफ पाइप ही पाइप नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में काम के लिए यहीं से थोड़े-थोड़े करके क्रेन से उठाकर गाड़ियों में इन पाइपों को ले जाया जा रहा है। जिससे पूरा मैदान ऊबड़-खाबड़ हो गया है। वहीं अम्बेडकर भवन के पीछे की तरफ पशु मेला स्थल पर रेती समेत अन्य निर्माण सामग्री पड़ी हुई है। जिससे पूरे मैदान की शोभा ही समाप्त होती जा रही है। चहुंओर गंदगी के ढेर लगे हुए है।

निर्माण सामग्री व मलबा कर रहे जमा: सीएडी चौराहे पर निर्माण किए जा रहे कीर्तिस्तंभ की निर्माण सामग्री के पत्थर से लेकर मलवा सभी पशु मेला स्थल पर ही जमा किया जा रहा है। जिससे पूरे मेला परिसर में जगह जगह मलवे के ढेर लग गए है। पूरे पशु मेले में मलवा, अतिक्रमण और सिवरेज के पाइव का ढेर नजर आता है। करोड रुपए सम्पति बेकार किया जा रहा है।

निगम व न्यास ने की थी संयुक्त कार्रवाई: एक माह पूर्व नगर निगम व नगर विकास न्यास ने यहां संयुक्त रूप से कार्रवाई की थी। जिसमें पशु पालकों को यहां से खदेड़कर मैदान को अतिक्रमण से मुक्त कराया था। लेकिन पशु पालक व आस-पास के घुमंतु जाति के लोग फिर से यहां आकर अतिक्रमण कर लिया है। अब हालात ये है कि नई बनाई स्पीप लाइन व फुटपाथ पर लोगों ने टापरियां बना ली है। यहीं खिलौने व अन्य सामान बेच रहे है।

कई साल से पशु मेला नहीं लगने से हो रही दुर्दशा: पुलिस कंट्रोल रूम के पास स्थित पुराने पशु मेला स्थल पर पिछले कई सालों से पशु मेला नहीं भर रहा है। जिससे इस मैदान का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है। नगर निगम के अधिकारी भी इस पर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे यह अतिक्रमण की चपेट में आने के साथ ही दुर्दशा का शिकार हो रहा है। नगर निगम के पास होने के बाद भी अधिकारी इसकी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। जिससे इस पर बार-बार अतिक्रमण का ग्रहण लग रहा है।

28 करोड़ बजट स्वीकृत, फिर भी नहीं हुए विकास कार्य

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दशहरा मैदान के ही द्वितीय फेज पुराने पशु मेला स्थल के लिए 28 करोड़ का बजट होने के बावजूद उसका विकास नहीं हो पा रहा है। जिससे उस पर बार-बार अतिक्रमण हो रहा है। दशहरा मैदान का पुराना हिस्सा है पशु मेला स्थल । जिसका भी विकास किया जाना है। फेज एक में तो दशहरा मैदान का विकास हुआ जबकि फेज दो में पुराने पशु मेला स्थल का विकास किया जाना है। इस मैदान में दशहरा मेले के दौरान पशु मेला लगता था। लेकिन पिछले कई साल से पशु मेला तो नहीं लग रहा। जिसे यह मैदान खाली पड़ा हुआ है। हालत यह है कि कई साल बाद भी अभी तक न तो इस मैदान का विकास किया गया और न ही इसका कोई उपयोग हो रहा है। नतीजा इस मैदान पर बार-बार अतिक्रमण हो रहा है। कभी घुमंतु जाति के लोग यहां टापरियां बनाकर रहने लगते हैं तो कभी पालक पशुओं का बाड़ा बना लेते हैं।

चार दीवारी और पार्किंग स्थल

पुराने पशु मेला स्थल के विकास के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करीब पांच साल पहले 28 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया था। जिसमें थियेटर, पूल समेत कई विकास करवाए जाने थे। लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई और विकास की योजना अधर झूल में अटक गई। हालत यह है कि करीब पांच साल बाद भी इस मैदान का न तो विकास हो सका है और न ही उपयोग। सिर्फ उस समय में मैदान की चार दीवारी की गई और पीछे की तरफ पार्किंग बनाई गई थी। हालांकि उस पार्किंग का उपयोग नगर निगम के वाहन खड़े करने में किया जा रहा है।

इनका कहना है

पशु मेला स्थल पर अस्थायी अतिक्रमण है। जिसे बार-बार हटाया भी जाता है। लोगों फिर से अतिक्रमण कर लिया है तो अधिकारियों से चर्चा कर अतिक्रमण को हटाया जाएगा।

- ए.क्यू. कुरैशी, एक्सईन, नगर निगम

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