श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर इस चातुर्मास की अभी तक की सबसे बड़ी, मास खमण की कठिन तपस्या करने वाले अर्चित जैन का शुक्रवार सुबह तप अभिनंदन हुआ। विनोबा बस्ती स्थित जय भिक्षु प्रतिष्ठान-तेरापंथ भवन में जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति साध्वीश्री चरितार्थप्रभा के सान्निध्य में अभिनंदन के दौरान साध्वीश्री ने कहा कि तपस्या में बहुत शक्ति होती है। दुनिया में बोलने और खाने का संयम हो जाए तो यह बहुत सुंदर हो जाए। साध्वीश्री वैभवयशा, डॉ. आगमप्रभा, कृतार्थप्रभा एवं आर्यप्रभा के अलावा नीलम जैन, आरती डागा, भावना जैन, आंचलिक सभा के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह सावनसुखा आदि ने गीतिकाएं प्रस्तुत की। तपस्वी की पुत्री मनस्वी, पुत्र ओजस के अलावा धनराज छाजेड़, विमल कोटेचा, विकास चोरड़िया, संदीप आंचलिया ने भी विचार व्यक्त किए। परिजनों ने प्रभावी झांकी के जरिए मानवीय गुण प्रदर्शित किए। समाज की विभिन्न संस्थाओं ने राजस्थानी साफे, साहित्य, स्मृति चिन्ह के माध्यम से अर्चित जैन का अभिनंदन किया।