जयपुर। इस साल सोयाबीन की पेराई भले ही कम हुई हो, लेकिन अक्टूबर 2022 से मई 2023 के दौरान कुल पेराई बढ़ी है। मई तक 77 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि के 55.75 लाख टन सोयाबीन की पेराई से करीब 38 फीसदी अधिक है। कैरीओवर स्टॉक, उत्पादन और आयात को मिलाकर इस साल सोयाबीन की कुल उपलब्धता 154.26 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 113.27 लाख टन था।
बाजरा के अलावा राजस्थान में सोयाबीन सबसे बड़ी खरीफ फसलों में से एक है। राज्य के बारां और बूंदी जिलों में सोयाबीन की अच्छी फसल होती है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी सोपा के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल मई महीने में 6.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई थी, जबकि इस साल अप्रैल महीने तक 9 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो चुकी है, हालांकि फिलहाल यह गति कम हो गई है।
अप्रैल माह की तुलना में मई माह में पेराई में करीब 28 प्रतिशत की कमी आयी है. इस साल मई से पहले हर महीने 8 लाख टन से ज्यादा की पेराई हो रही थी। तेल कारोबारी अनिल चतर का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारकों की वजह से खाद्य तेलों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। सोयाबीन का तेल भी काफी सस्ता हो गया है, जिससे सोयाबीन की पेराई में तेल मिलों को फायदा नहीं हो रहा है। इसलिए पेराई कम होने लगी है।