आज गहलोत के 71वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर और आखिर एनएसयूआई से लेकर केंद्र में मंत्री रहने के बाद तीसरी बार राजस्थान के सीएम बनने तक उन्होंने कैसे इस सफर को तय किया.
NSUI से हुई राजनीतिक गलियों में एंट्री
3 मई 1951 में सूर्यनगरी जोधपुर में स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे अशोक गहलोत के पिता जादूगर थे. अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक डिग्री पूरी करने के बाद अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. छात्र जीवन से ही गहलोत ने राजनीति जीवन में कदम रख लिया और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की.
गहलोत 1973 से 1979 के बीच राजस्थान NSUI के अध्यक्ष रहे, इसके बाद 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी की कमान संभाली. वहीं 1982 में अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने. गहलोत का सियासी सितारा जल्द ही चमक उठा और वह बहुत छोटी उम्र में ही राजनीति के शिखर तक पहुंच गए. इंदिरा गांधी सरकार के दौरान गहलोत तीन बार केंद्रीय मंत्री भी रहे.
3 प्रधानमंत्रियों के साथ रहे गहलोत
गहलोत अपने राजनीतिक जीवन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा के अलावा राजीव गांधी और बाद में नरसिम्हा राव कैबिनेट में मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. कहा जाता है कि गहलोत की राजनीतिक समझ के चलते उनके विरोधी पार्टियों में भी अच्छे संबंध रहे हैं. वर्तमान में देश में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं में गहलोत को ही सबसे बड़े संकटमोचक के तौर पर माना जाता है. गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के हर राजनीतिक संकट में गहलोत ने अहम भूमिका निभाई है.
2020 में दिखाई राजनीतिक जादूगरी
गहलोत के तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्थान में सचिन पायलट के बागी होने के बाद सरकार राजनीतिक संकट में घिर गई इस दौरान गहलोत ने विधायकों को एकजुट रखते हुए कुशल राजनीति का परिचय दिया. पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के बगावत करने के बाद गहलोत ने सरकार नहीं गिरने दी.
इस दौरान गहलोत अपने सभी विधायकों को लेकर जयपुर-जोधपुर के चक्कर लगाए और फिर होटलों में बाड़ेबंदी भी की. वहीं गहलोत सरकार के विधायकों के खरीद-फरोख्त की खबरें भी सामने आई लेकिन गहलोत ने आलाकमान से बातचीत का चैनल जारी रखते हुए अंत में सचिन पायलट को मना लिया.
हाईकमान के सबसे भरोसेमंद नेता
साल 2017 हुए में गुजरात चुनावों के दौरान गहलोत को अहम जिम्मेदारी दी गई जिसके बाद उन्होंने कुछ ही समय में गुजरात में कांग्रेस को मुकाबले में ला खड़ा किया. वहीं राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की लगभग हारी हुई बाजी को गहलोत ने पलट दिया. बता दें कि उस दौरान गहलोत की रणनीतिक कौशलता की चर्चा देशभर में हुई जहां उन्होंने अमित शाह की रणनीति को फेल कर दिया.
इसके साथ ही कांग्रेस में संगठन महासचिव रहने के दौरान विधानसभा का चुनाव लड़कर और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अशोक गहलोत ने कई राजनीतिक पंडितों को हैरान किया. अशोक गहलोत शुरूआत से ही राजस्थान के साथ-साथ कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में भी बराबर सक्रिय रहे हैं. माना जाता है कि कांग्रेस शासित राज्यों में किसी भी तरह के सियासी संकट में गहलोत को याद किया जाता है.