Churu: नारायणी देवी राधा कृष्ण भगत विज्ञान एवं वाणिज्य भवन का लोकार्पण

Update: 2024-09-13 11:10 GMT
Churu चूरू । सहकारिता एवं नागरिक उड्डयन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक शुक्रवार को तारानगर दौरे पर रहे। मंत्री दक ने तारानगर मुख्यालय स्थित श्री बनेचंद सरावगी उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मन्दिर में नवनिर्मित श्रीमती नारायणी देवी राधा कृष्ण भगत विज्ञान एवं वाणिज्य भवन का लोकार्पण किया। कार्यक्रम के दौरान मंत्री गौतम कुमार दक, पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़, डॉ संजय कृष्ण सलिल, गोपाल शरण गर्ग, भामाशाह ताराचंद गोयल व विम्मी देवी गोयल, रतनकुमार गोयल, शिवप्रसाद सहित अतिथि मंचस्थ रहे।
मंत्री दक ने संबोधित करते हुए कहा कि चूरू जिले की संस्कारवान व संस्कृतिपूर्ण शिक्षा व्यवस्था देखकर मन हर्षित होता है। यहां से प्रेरणा लेकर हम हमारे क्षेत्र को भी शिक्षा व्यवस्था में सुदृढ़ करेंगे।
भामाशाह ताराचंद गोयल द्वारा निर्मित नए भवन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भामाशाह द्वारा अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई जनोपयोगी व परोपकार के कार्य में लगाना उनकी प्रतिष्ठा में चार चांद लगाता है। विज्ञान व वाणिज्य भवन निर्मित होने से अंचल के विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षा मिलेगी व विद्यार्थी तकनीकी शिक्षा भी ग्रहण कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी तकनीकी शिक्षा के साथ संस्कार, संस्कृति, देश प्रेम व देशभक्ति की शिक्षा लेंगे। इससे शिक्षा सहित समस्त क्षेत्रों में देश का मान- सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी आधुनिकता के साथ संस्कृति व संस्कारवान शिक्षा हासिल करे। महापुरुषों के चरित्र से शिक्षा लें और जीवन कौशल को बढ़ाते हुए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में संकल्पित हों। हम सभी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के स्वप्न को साकार करें। हम शिक्षा के साथ संस्कार व संस्कृत को जोड़ें ताकि हमारा वैभव बढ़े और संपूर्ण विश्व पटल में भारत अग्रणी रहे।
पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि हमारी भावी पीढ़ी संस्कृति व संस्कारों से परिपूर्ण हो तथा उनमें हमारी समृद्ध विरासत के प्रति अनुराग व श्रद्धा का भाव हो। संस्कृति से जुड़ी शिक्षा संस्कार व मर्यादाएं विकसित करती है।
उन्होंने कहा कि आज हम स्किल इंडिया की बात करें तो आधुनिक शिक्षा में भी भारत विश्व से आंख मिला रहा है, परंतु हमारी पहचान हमारी संस्कृति से है। इसलिए हमारी संस्कृति के प्रति अनुराग रखते हुए नई पीढ़ी का निर्माण हो। नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा से जोड़कर हमारी शिक्षा पद्धति को और अधिक संस्कारवान बनाने का प्रयास किया गया है। मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा तथा तकनीकि व स्किल आधारित शिक्षण से हम स्वावलंबित भारत का स्वप्न साकार कर पाएंगे।
उन्होंने भामाशाह के सहयोग से निर्मित भवन की सराहना करते हुए कहा कि भामाशाहों द्वारा शिक्षा चिकित्सा व आधारभूत विकास कायोर्ं के प्रति समर्पण का भाव हमारे यहां की संस्कृति रही है। मातृभूमि के प्रति श्रद्धा व समर्पण का भाव इंसान को हर जगह सम्मान दिलाता है। कबीर वाणी में भी कहा गया है कि दान देने से धन नहीं घटता है, बल्कि मान बढ़ता है।
भामाशाह ताराचंद गोयल ने अपने जीवन अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन में किसी भी कार्य की सफलता के लिए उसकी मौलिकता आवश्यक है। नकल से आप अल्पकालिक खुशी अर्जित कर सकते हैं, परंतु सफलता के लिए मौलिकता पहली शर्त है। उन्होंने बताया कि स्टील किंग एलएन मित्तल के पिता के साथ काम किया और व्यापार किया। छोटी उम्र में घर से बाहर प्रवास के चलते औपचारिक शिक्षा नहीं मिल पाई। शिक्षा से वंचित होने के भाव को महसूस किया। इसलिए उनकी इच्छा है कि शिक्षा क्षेत्र का उन्नयन हो।
इस अवसर पर डॉ संजय कृष्ण सलिल, गोपाल शरण गर्ग, शिवप्रसाद ने भी विचार व्यक्त किए। इस पूर्व प्रभुराम गेंहुआ, मदनलाल प्रजापत, सुरेश सैनी, पवन बंसल, अंजनी चाचाण, त्रिविक्रम अपूर्वा, बनवारीलाल, सविता कंदोई, सुनीता दनेवा, गौरव बंसल, जगवीर सिंह राठौड़ सहित अन्य ने अतिथियों का स्वागत किया। विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।
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