कोटा न्यूज़: केस-1 चंद पलों में ही खाक हुई कार- 27 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे कोटा बैराज की सामानांतर पुलिया के पास टिपटा इलाके में खड़ी कार में अचानक आग लग गई, जो चंद पलों में आग के गोले में तब्दील हो गई। सूचना पर 15 मिनट में दमकल मौके पर पहुंची लेकिन तब तक कार खाक हो चुकी थी। दरअसल, एक व्यक्ति झरने वाले बालाजी मंदिर के पास कार खड़ी कर चला गया था, पीछे से अचानक कार में आग लग गई।
केस-2 सवारियां नहीं होने से टला हादसा: 22 अक्टूबर को रेलवे स्टेशन के पास सवारियां लेने जा रहा मैजिक वाहन में अचानक आग लग गई। चालक तुरंत वाहन से निकलकर दूर चला गया। गनीमत रही कि वाहन में सवारियां नहीं होने से बड़ा हादसा टल गया।
चलती कार में आग लगने की घटनाएं शहर में आए दिन सामने आ रही है। कार चालक सहित सड़क पर चल रहे अन्य वाहन चालकों की जान भी संकट में पड़ जाती है। बीते कुछ दिनों में ही चार से पांच घटनाएं घटित हो चुकी हैं। जबकि, 1 जनवरी 2022 से 28 अक्टूबर तक करीब एक दर्जन से अधिक कारों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। पिछले दो साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब तीन दर्जन कारों में आग लगने के केस हो चुके हैं। चंबल हैंगिंग ब्रिज हाइवे पर तो दौड़ती कार अचानक आग के गोले में तब्दील हो गई थी और कार चालक की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। तमाम घटनाएं अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई। विड़म्बना यह है कि लाखों की कार में आग क्यों लग जाती है, इसके कारणों को तलाशने में न तो परिवहन विभाग और न ही कार निमार्ता कम्पनियों की ओर से कोई प्रयास नहीं किए गए। जबकि, इन घटनाओं की रोकथाम के लिए वाहन चालकों जागरूक करने की आवश्यकता है। दैनिक नवज्योति ने एक्सपर्ट से इन घटनाओं के कारणों को जानने की कोशिश की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पेश है लाइव रिपोर्ट...
आगजनी की तमाम घटनाओं के पीछे ये 4 वजह जिम्मेदार: एक्सपर्ट बताते हैं, चलती कार में आग लगने के 4 मुख्य कारण हैं। 1- पेट्रोल, डीजल व गैस लीकेज 2-वायरिंग स्पार्किंग 3- धूम्रपान 4- क्षमता से अधिक एसेसरीज लगवाना शामिल हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल वायरिंग का है। हर कम्पनी की गाड़ियों की डिजाइन अलग-अलग होती है, जिनमें वायरिंग उसी मापदंड के अनुरूप की जाती है। जब वायरिंग से छेड़छाड़ होती है, तो कार में आग की संभावनाएं प्रबल हो जाती है। क्योंकि, एडिशनल एसेसरीज लगाने के लिए बिछाई गई वायरिंग से लोड बढ़ता है, जिससे तार गर्म होकर आपस में चिपकने लगते हैं, जो स्पार्किंग के लिए जिम्मेदार होता है।
पिछले हिस्से में लगे आग तो कार से दूर चले जाएं: कार के पिछले हिस्से में फ्यूल टैंक होता है। यदि पिछले हिस्से में आग लगती है तो उसे बुझाने का प्रयास न करें और न ही कार के पास रूकें। क्योंकि ये कभी भी धमाके में तब्दील हो सकता है, जिससे जान भी जा सकती है। ऐसी स्थिति में कार से जितना दूर हो सके उतना दूर जाएं और फायर ब्रिगेड को तत्काल सूचना दें। वहीं, कार के अगले हिस्से यानी इंजन से धुंआ निकल रहा हो तो इंजन को बंद करके बाहर निकल जाएं और छोटे अग्निशमन यंत्र का उपयोग कर आग बुझाने का प्रयास किया जा सकता है।
वायरिंग से न करें छेड़छाड़: ऑटो मोबाइल एक्सपर्ट जहिर अहमद बताते हैं, कार में मानक से अधिक एसेसीरीज न लगवाएं। कंपनी तय मानकों के अनुसार उसमें लाइट, साउंड फिटिंग, एसी, ब्लोअर यानी हीटर, सीएनजी किट और अन्य एसेसीरीज लगा कर देती है। जब हम बाहर से उसमें अधिक एसेसीरीज जैसे हैड लाइट, हूटर और हार्न लगवाते हैं तो वायरिंग पर ज्यादा जोर पड़ता है, जिससे शार्ट सर्किट होता है जिसकी वजह से हादसे के शिकार हो सकते हैं।
बचाव के लिए वाहनों में रखें से ये सामान: कार 0 से 30 किमी स्पीड में आते ही आॅटोमेटिक लॉक हो जाती है। जब गाड़ी में आग लगने की घटना होती है तो चालक व सवार गाड़ी में फंस जाते हैं और बाहर निकलने की तमाम कोशिश नकाम हो जाती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए चालक को वाहन में कुछ छोटे उपकरणों का एक टूल किट साथ रखना चाहिए।
- कैंची : कार में आग लगने की स्थिति में सीट बेल्ट लॉक हो जाती है जिसे कैंची से काटकर समय रहते निकल सकते हैं।
- अग्निशमन यंत्र : वाहन में शुरुआती स्तर पर लगी आग को तुरंत बुझाने के लिए छोटा अग्निशमन यंत्र साथ रखना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर आग पर कंट्रोल पाने में मदद मिल सके।
- छोटी हथौड़ी : कार में आग लग गई तो हथौड़ी की मदद से कार के शीशे तोड़कर बाहर निकल सकते हैं।
- हैड रेस्ट : आगजनी की घटना पर गाड़ी आॅटो लॉक होने पर बाहर निकले का कोई रास्ता नहीं बचे तो सीट के साथ लगे हैड रेस्ट ( सर रखने की सीट) को ऊपर की ओर खींचकर निकालें और उससे कार के शीशे तोड़कर बाहर निकल सकते हैं।
चलती कार में आग लगने के प्रमुख कारण:
- पेट्रोल पाइप लाइन की रबरशीट कट जाने से आगजनी की घटना हो सकती है।
- कार लगातार 100 किमी से अधिक चलाने से इंजन गर्म अधिक गर्म होता है, जिससे वजह से वायरिंग के उपर लगी प्लास्टिक कवर पिघलना लगता है, जो शोर्ट सर्किट की वजह बनता है।
- गाड़ी में लगे सीएनजी किट के सिलिंडर की निर्धारित समय तीन साल में हाइड्रो टेस्टिंग नहीं करवाई जाती है। यह टेस्टिंग सिलिंडर की क्षमता का पता लगाने के लिए की जाती है। यह जांच आरटीओ द्वारा तय एजेंसी करती है।
- वाहन में धूम्रपान आग लगने का सबसे प्रमुख कारण है।
- इंजन के साथ लगने वाले वायरिंग का कवर का फायर प्रूफ न होना।
- चलती कार में आग लगने का मुख्य कारण ओवर हीटिंग, फ्यूल लीकेज व वायरिंग में शार्ट सर्किट होना है।
- सर्दियों में अधिकतम आधे घंटे से अधिक समय तक ब्लोअर यानी हीटर चलाने से ओवरहीट होती है। जिसकी वजह से आग लग सकती है।
- टायर के व्हील जाम होेने से टायर पर दबाव पड़ता है और घर्षण होने से टायर में आग लग सकती है, क्योंकि टायर में लौहे के तार होते हैं जो चिंगारी पैदा करते हैं।
-आउट साइड यानी बाहर से गैस किट लगवाना भी आगजनी का प्रमुख कारण है। क्योंकि, कम्पनी अपने मानक के अनुरूप लगाती है और गैस को इंजन तक पहुंचाने के लिए रेगुलेटर की फिटिंग का ध्यान रखा जाता है। जबकि बाहर चूक होने की संभावना रहती है।
- कार के अगले हिस्से यानी बोनट पर लगे वाइपर के पास एयर पास होने के लिए जगह होती है, उस जगह पर मच्छरदानी जैसी शीट लगवानी चाहिए, ताकि वायरिंग को कुतुरने से बचाया जा सके।
- सीएनजी फिटेड गाड़ियों में वायरिंग को बराबर चेक नहीं करना।
- कार की सर्विसिंग अथोराइज्ड सर्विस सेंटर या एक्सपर्ट से नहीं करवाना।
यह हैं सुझाव
- कार में सफर करने से पहले गाड़ी का जनरल चेकअप जरूर करें।
- आगजनी की घटनाएं गर्मियों में अधिक होती है इसलिए 45 से 50 डिग्री तापमान में वाहन में सफर नहीं करें।
- फयूल लाइन के ज्वाइंट लीक न हो। ज्वाइंट के आसपास रबरशील होती, जो कटी-फटी होने से लीकेज की संभावना रहती है। इसका ध्यान रखने की जरूरत है।
- कार निमार्ता कम्पनियों को घरों में लगे एमसीबी बोर्ड की तरह कार में भी ऐसी डिवाइस लगाना चाहिए, ताकि शोर्ट सर्किट होेने पर एमसीबी ट्रिप होने से फयूल व गैस की सप्लाई बंद हो जाए।
- सीएनजी फिटेड गाड़ियों में उसकी वायरिंग बराबर चेक करें। खासकर इसके तीन प्वाइंट की जांच जरूर करनी चाहिए। पहला- सिलिंडर के पास नाब, दूसरा पाइप फिटिंग के पास नट बोल्ट और तीसरा सेफ्टी वॉल के आसपास देखें कि कहीं लीकेज तो नहीं है।
- सर्दियों के समय कार में ब्लोअर थोड़ी-थोड़ी देर में बंद कर देना चाहिए। लगातार नहीं चलाना चाहिए।
- कार की सर्विसिंग मानकों के आधार पर अथराइज्ड सर्विस सेंटर या एक्सपर्ट से ही करानी चाहिए।
- कार लगातार 100 किमी से अधिक चलाने से बचे और 15 से 20 मिनट के विश्राम के बाद ही गाड़ी चलाएं।
- कार के वाइपर, हैडलाइट, म्यूजिक सिस्टम, रूफ लाइट, हॉर्न, फैन, एसी सहित वायरिंग से जुड़ी तमाम एसेसीरीज का कोई पार्ट काम न करें तो उसकी जांच जरूर करवाएं। क्योंकि छोटी सी गलती बड़ा रूप ले सकती है।
क्यों हो जाती है कार ऑटो लॉक: पहले वाहनों का मैकेनिज्म मैन्यूअल होता था लेकिन वर्तमान में ज्यादा फीचर को लेकर बढ़ी प्रतिस्पर्धा में कार कम्पनियों ने मैकेनिज्म को इलेक्ट्रिक कर दिया। जिससे एक्सीडेंट या आगजनी की घटना के दौरान पावर कट ऑफ हो जाने से एसेसीरीज के फंक्शन बंद हो जाते हैं और गाड़ी ऑटोलॉक हो जाती है।
कुछ कम्पनियों ने अपनी गाड़ियों में इस तरह की डिवाइस लगाई है जो एक्सीडेंट के समय पावर कटऑफ कर देता है। जिससे सप्लाई लाइन बंद हो जाती है। वाहन पूरी तरह से बंद हो जाता है और दुर्घटना के बाद कार जलने से बच जाती है। ऐसी सुरक्षात्मक डिवाइस सभी कार कम्पनियों को लगानी चाहिए।
-जहीर अहमद, ऑटो मोबाइल एक्सपर्ट
1 जनवरी 2022 से अब तक एक दर्जन से अधिक चलती कार में आग लगने के मामले सामने आ चुके हैं। ज्यादातर मामलों में ओवर हीटिंग, फ्यूल लीकेज व वायरिंग में शार्ट सर्किट प्रमुख कारण होते हैं। बाहर से अनावश्यक एसेसीरीज लगवाने से वायरिंग पर लोड बढ़ता है, जिससे तार गर्म होकर आपस में चिपकने लगते हैं, जो शोर्ट सर्किट का कारण बनते हैं।
-राकेश व्यास, मुख्य अग्निशमन अधिकारी नगर निगम कोटा उत्तर
परिवहन विभाग पुलिस के साथ मिलकर वाहन सेफ्टी को लेकर अभियान चलाता है। वाहन चालकों व स्कूल-कॉलेजों में वर्कशॉप आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक करते हैं। वाहनों में आगजनी के मामलों में पुलिस हर पहलु की जांच कर आरटीओ को रिपोर्ट भेजती है। गलती होने पर संबंधित वाहन मालिक के लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की कार्रवाई की जाती है।
- दिनेश सिंह सागर, अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन अधिकारी