तीन बार सांसद रहे बृजराज सिंह का 87 साल की उम्र में निधन

झालावाड़ के पूर्व सांसद और कोटा राजपरिवार के सदस्य रहे महराव बृजराव सिंह का 85 साल की उम्र में निधन हो गया।

Update: 2022-01-29 18:34 GMT

झालावाड़ के पूर्व सांसद और कोटा राजपरिवार के सदस्य रहे महराव बृजराव सिंह का 85 साल की उम्र में निधन हो गया। शनिवार सुबह 7:45 बजे अचानक हार्टअटैक आने से उनकी हृदय गति रुक गई। पूर्व महाराव के देहांत से हाड़ौती संभाग में शोक की लहर हैं। पूर्व राजघराने की परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार नयापुरा स्थित क्षारबाग में किया गया।

पूर्व महाराव बृजराज का जन्म 21 फरवरी 1934 को हुआ था। वे कोटा के अंतिम शासक रहे महाराव भीमसिंह द्वितीय के इकलौते पुत्र थे। 20 जुलाई 1991 को वे कोटा के पूर्व महाराव बने थे। साल 1959 से 1961 तक कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर रहे थे। झालावाड़ लोकसभा सीट से साल 1962 , 1967 और 1971 में चुनाव जीत तीन बार सांसद भी बने। उनकी पत्नी उत्तरा देवी हैं। वे पूर्व सांसद इज्यराज सिंह के पिता और भाजपा विधायक कल्पना देवी के ससुर हैं। उनके पौत्र जयदेव सिंह हैं और बेटी भवानी कुमारी हैं।
कोटा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर लिखा- पूर्व सांसद व कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह के निधन का समाचार दुखद है। कोटा के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजनों को यह आघात सहने की शक्ति दें और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगक्त क्षति
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर लिखा कि कोटा के पूर्व महाराव के निधन का समाचार सुन हृदय व्यथित है। झालावाड़ सांसद के रूप में उन्होंने सदैव हाड़ौती में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी थी। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगक्त क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और परिजनों को संबल प्रदान करें।
सज्जन और कर्मशील व्यक्ति थे
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट में लिखा कि कोटा के पूर्व महाराव व पूर्व सांसद बृजराज सिंह के देहावसान का समाचार सुनकर दुखी हूं। वे सज्जन और कर्मशील व्यक्ति थे। मैं प्रभु श्रीराम से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।
स्मृतियां हमेशा जीवंत रहेंगी
पूर्व महाराव बृजराज के निधन पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शोक जताया। उन्होंने कहा कि बृजराज जी ने कला, इतिहास लेखन और पर्यटन को निरंतर प्रोत्साहित किया। उनका जाना कोटा सहित राजस्थान के लिए अपूरणीय क्षति हैं। उनकी स्मृतियां हमेशा जीवंत रहेंगी।

दो बार की शादी
पूर्व महाराव सिंह का विवाह दो बार हुआ था। प्रतापगढ़ राजपरिवार के सदस्य रामसिंह की बेटी महेश्वरी से 1956 में उनकी शादी हुई, लेकिन यह विवाह ज्यादा नहीं चल पाया। 1963 में मुंबई में उनका तलाक हो गया था। दूसरा विवाह कूचबिहार के पूर्व राजपरिवार के सदस्य इंद्रजीत नारायण की बेटी उत्तरा देवी से साल 1963 में हुआ था। उनकी बेटी भवानी कुमारी का विवाह पश्चिमी बंगाल के जयचंद मेहताब के साथ हुआ है।

लोक संस्कृति से हमेशा रहा प्रेम
पूर्व महाराव बृजराज सिंह को कोटा और हाड़ोती अंचल की लोक संस्कृति से हमेशा लगाव रहा। विजयादशमी पर गढ़ पैलेस में परंपरागत दरीखाना की रस्म में वे शामिल होते थे। यहां की संस्कृति के प्रति गुस्ताखी उन्हें बर्दाश्त नहीं थी। दरीखाने की रस्म के दौरान उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों को भी लताड़ लगाई थी।


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