बता दे कि पिछले महीने राजस्थान संकट की वजह से काफी हंगामा देखने को मिला था। गहलोत और पायलट के बीच लड़ाई एक बार फिर से सामने आ गई थी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान राजस्थान की कमान सचिन पायलट को देना चाहता था, जिसके बाद एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाने के लिए खुद खड़गे और अजय माकन को भेजा गया। हालांकि, गहलोत गुट के विधायकों के विरोध के बाद ऐसा संभव नहीं हो सका। पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद अब खड़गे की जिम्मेदारी राजस्थान संकट को दूर करने की होगी। इसी वजह से दोनों की मुलाकात भी हुई। सूत्रों की मानें तो खड़गे और पायलट की मुलाकात के दौरान होने वाले अगले विधानसभा चुनाव को लेकर भी बात हुई है। इसके अलावा, संगठन की नियुक्तियों को लेकर भी दोनों के बीच बातचीत हुई।
दोनों नेताओं के बीच भले ही मुलाकात हुई हो, लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो खड़गे हाल-फिलहाल में राजस्थान संकट को लेकर कोई भी फैसला नहीं करने जा रहे। दरअसल, इसके पीछे कई वजहें हैं। इसी साल के अंत तक गुजरात विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए तारीखों का ऐलान किसी भी समय हो सकता है। कांग्रेस ने गुजरात के लिए अशोक गहलोत को सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया है और वे गुजरात का एक के बाद एक दौरा करके पार्टी को जीत दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, राजस्थान के ही रघु शर्मा भी गुजरात में पार्टी के लिए रणनीति बना रहे हैं। पार्टी ने उन्हें प्रभारी बनाया है। ऐसे में अब जब चुनाव में इतना कम समय बचा है तो खड़गे गहलोत के खिलाफ कोई फैसला लेकर उन्हें नाराज नहीं करना चाहेंगे। सूत्रों की मानें तो राजस्थान संकट का हल निकलने में अभी कुछ महीने का समय और लग सकता है।
पायलट और गहलोत में किसका पलड़ा भारी-
पार्टी के युवा नेता सचिन पायलट हमेशा से ही राहुल गांधी और प्रियंका के करीबी नेताओं में शामिल रहे हैं। राजस्थान में जब 2018 में नतीजे आए, तभी माना जा रहा था कि राहुल सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, लेकिन उस समय एक बार फिर से बाजी अशोक गहलोत मार गए। पायलट को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा। हालांकि, साल 2020 के मध्य में पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ खुलकर बगावत कर दी, जिसके बाद डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से उनकी छुट्टी हो गई। हालांकि, समय बीतने के साथ वे एक बार फिर से आलाकमान की पहली पसंद बन गए हैं। उधर, पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहती थीं, लेकिन राजस्थान संकट के चलते काफी नाराज हो गईं। गहलोत को मुलाकात करके माफी तक मांगनी पड़ी। ऐसे में माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के चलते आने वाले कुछ दिनों में भले ही राजस्थान संकट का हल नहीं निकले, लेकिन कुछ महीनों बाद जब इसका फैसला होगा तो गहलोत के मुकाबले पायलट का पलड़ा ज्यादा भारी रह सकता है। राज्य में पायलट को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।