भीलवाड़ा लोकसभा का जनादेश हुआ ईवीएम में कैद, दस प्रत्याशियों का भाग्य खुलेगा 4 जून को

Update: 2024-04-27 14:53 GMT
भीलवाडा। भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के लिए शुक्रवार शाम 6 बजने के साथ ही मतदान संपन्न हो गया। बूथ के बाहर सुबह से ही दोनों ही प्रमुख पार्टियों के एजेंटों ने मोर्चा संभाला और मतदाताओं को घर से लाकर वोट डलवाया। इधर, प्रशासन ने भी स्वीप एक्टिविटी सहित अन्य जागरूकता कार्यक्रमों से वोटिंग के हर संभव प्रयास किए। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने के बाद देर रात पोलिंग पार्टियां तिलक नगर स्थित राजकीय पॉलोटेक्निक कॉलेज में इवीएम और चुनाव सामग्री जमा कराने पहुची। मतदान कर्मचारियों में इन्हें जमा कराने की होड़ रही। सबसे अंत में हिंडौली विधानसभा क्षेत्र की इवीएम शनिवार सुबह 8 बजे पहुंची। इस दौरान सामान्य चुनाव पर्यवेक्षक पवन कुमार, जिला निर्वाचन अधिकारी नमित मेहता, उप जिला निर्वाचन अधिकारी रतन कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। रात एक बजे तक भीलवाड़ा जिले की सभी सात विधानसभा सीटों के बूथों की ईवीएम आ गई। सभी इवीएम को विधानसभा वाइज बने स्ट्रांम रूम में रखवा कर रूम सील करवा दिए गए। इसके बाद हिंडौली का इंतजार रहा। वहां की ईवीएम आज सुबह 8 बजे पहुंची। इन्हें भी स्ट्रांग रूम में रखवा स्ट्रांग रूम सील कर दिया गया। इसी के साथ भाजपा-कांग्रेस सहित सभी दस प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद होकर सील हो गया। यह 4 जून को मतगणना के बाद खुलेगा।
वोटिंग पर्सेंटेज कम होना शुभ संकेत नहीं 2019 में 65.51 प्रतिशत के मुकाबले 2024 में 60.10 प्रतिशत कुल 5.41 प्रतिशत मतदान में कमी आई। इस कमी ने सियासी तस्वीर को बदल कर रख दिया है और अब 4 जून को आने वाले नतीजे चौंका सकते है। चुनाव में मतदान प्रतिशत का कम रहना सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं माने जाते थे, लेकिन वर्तमान दौर में मतदाता किस ओर जाएंगे, यह 4 जून को साफ होगा। फिलहाल प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है।
दिग्गजों की साख दांव पर भीलवाड़ा में कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी ने जहां चंबल से पानी पिलाने और एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के नाम पर जनता से वोट मांगे तो भाजपा के दामोदर अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विकसित भारत को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल किया। दोनों प्रमुख दलों सहित कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं। शहरी क्षेत्र में जहां लोगों ने केंद्र सरकार की रीति नीति और डबल इंजन की सरकार को ध्यान में रखकर वोट दिया, तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने चंबल के पानी का कर्ज उतारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
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