राजस्थान: अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए माउंट आबू व जालौर से लाए गए भालू आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं. जबसे भालूओं को एंक्लोजर से जंगल में छोड़ा गया है तभी से यह कई बार जंगलों से दूर आबादी क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं.सरिस्का के वनकर्मी भालूओं की मॉनिटरिंग लगातार कर रहे हैं. भालूओं के आबादी क्षेत्रों में जाने के बाद वनकर्मी ट्रेंकुलाइज कर वापिस जंगल की ओर लाते हैं. पिछले एक माह में तीन बार भालू को आबादी से ट्रेंकुलाइज कर सरिस्का के जंगलों में लाया गया.
सरिस्का में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लाए गए भालूओं को एंक्लोजर के बाद जंगल में छोड़ा गया है. हालांकि अभी तक पर्यटकों को भालू की साइटिंग नहीं हो पाई है. क्योंकि भालू को बाघ वाले रूट से दूर रखा गया है और अभी तक उन रूटों पर पर्यटकों के लिए सफारी का रूट नहीं है. इस कारण जालौर व माउंट आबू से लाए गए भालूओं की साईटिंग पर्यटकों को नहीं हुई है. सरिस्का प्रशासन जल्दी ही भालू की साइटिंग के लिए रूट तैयार करेगा.
भालूओं को जंगल रास नहीं आ रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक माह से भालू के पीछे वन कर्मियों की मशक्कत ज्यादा हो रही है. पहले भी सरिस्का से एक भालू गायब हो चुका है. जिसका अभी तक पता भी नहीं चल पाया. पिछले दिनों सरिस्का में तीन भालू पहुंच चुके हैं. हालांकि अभी एक और भालू जालौर से लाया जाना है.
तालवृक्ष रेंज में छोड़ा गया है भालू
जालौर व माउंट आबू से लाए गए भालूओं को सरिस्का के ताल वृक्ष रेंज में छोड़ गया. इसके बाद जंगलों में विचरण करते हुए य़ह भालू कभी आबादी तो कभी पहाड़ी क्षेत्रों पर पहुंच जाते हैं. पिछले दिनों भालू हरसौरा की पहाड़ियों पर पहुंच गया. जिसके कई दिनों तक वन कर्मियों द्वारा मॉनिटरिंग की गई. साथ ही मादा भालू भी कुछ समय पहले ईनदोक की पहाड़ी पर पहुंच गई. जहां से वन कर्मियों द्वारा ट्रेंकुलाइजर कर उसेसरिस्का के जंगलों में लाया गया.