आयुष के डॉक्टरों ने निकाला शांतिपूर्ण कैंडल मार्च, वेतन विसंगति को लेकर की मांग
बड़ी खबर
चित्तौरगढ़। चित्तौड़गढ़ में शनिवार देर शाम आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक व योग चिकित्सकों ने शांतिपूर्वक कैंडल मार्च निकाला। उन्होंने वेतन विसंगति को लेकर अपनी मांग रखी। आयुष डॉक्टरों का कहना है कि एलोपैथिक डॉक्टर जितना काम करते हैं, वेतन और भत्तों में उनका भी बराबर का अधिकार होना चाहिए. यह कैंडल मार्च रोडवेज बस स्टैंड से कलेक्ट्रेट चौक तक निकाला गया। रोडवेज बस स्टैंड से कलेक्ट्रेट चौराहे तक आयुष चिकित्सकों ने गांधीवादी अंदाज में कैंडल मार्च निकाला. दांडी यात्रा के पास कलेक्ट्रेट पहुंचने के लिए वह करीब 1 किलोमीटर पैदल चले। जहां सभी ने अपनी मोमबत्ती महात्मा गांधी की मूर्ति के पास रखी। राजस्थान आयुष चिकित्सक महासंघ के डॉ. तरुण प्रमाणिक ने बताया कि हम एलोपैथिक डॉक्टरों के समान ही काम करते हैं। हमने कोरोना काल में भी उतनी ही मेहनत की है।
लेकिन इसके बावजूद आयुष डॉक्टरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वर्ष 1993 तक सभी डॉक्टरों को समान वेतन दिया जाता था। लेकिन छठा वेतन लागू होने के बाद से ही भेदभाव शुरू हो गया। दूर-दराज, दुर्गम और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लंबे समय से आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राज्य आयुष चिकित्सा अधिकारियों की शैक्षिक योग्यता, भर्ती प्रक्रिया, सेवा समूह और कार्य केंद्र आयुष चिकित्सा अधिकारियों और एलोपैथिक डॉक्टरों के समान हैं। आयुर्वेद स्नातकों का इंटर्नशिप भत्ता, स्नातकोत्तर अध्येताओं की वृत्तिका निधि तथा आयुष एवं एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के प्रारंभिक नियुक्ति के समय वेतनमान भी समान है, परन्तु प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पदोन्नति के समय राज्य आयुष चिकित्सा अधिकारियों के वेतनमान निम्न हैं। केंद्रीय आयुष चिकित्सा अधिकारियों के समान। राज्य के एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के वेतनमान की तुलना में काफी विसंगति है।