महिला की मौत से आक्रोशित परिजनों ने हाइवे किया जाम, कार्रवाई की मांग

Update: 2023-06-18 17:21 GMT
दौसा। दौसा जिले के सिकंदरा थाना क्षेत्र के रजवास गांव निवासी महिला की मौत के मामले में परिजनों ने निजी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्टेट हाइवे जाम कर दिया. बांदीकुई-सिकंदरा मार्ग पर अस्पताल के सामने महिला के शव को लेकर परिजनों समेत बड़ी संख्या में लोग धरने पर बैठ गए हैं. सूचना पर मानपुर डिप्टी एसपी दीपक मीणा व थाना प्रभारी मनोहरलाल के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात है. परिजन जहां अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं वहीं पुलिस भी समझा-बुझाकर जाम हटवाने का प्रयास कर रही है। मृतका के पति मुन्नाराम ने बताया कि शुक्रवार सुबह उसकी पत्नी गुड्डी देवी (35) ने पेट में जलन व दर्द की शिकायत पर गांव में संचालित क्लिनिक में इलाज कराया. जहां ड्रिप लगाकर घर भेज दिया गया। करीब आधा घंटे बाद दोबारा पेट व सिर दर्द होने पर पति फिर उसे क्लीनिक ले गया, जहां क्लिनिक संचालक ने महिला को इंजेक्शन लगाकर सिकंदरा स्थित निजी अस्पताल में भेज दिया। जहां इलाज शुरू करने के बाद महिला को दर्द से राहत मिली और वह सो गई।
शाम करीब छह बजे फिर से पेट में दर्द होने पर उसे तकलीफ होने लगी और तबीयत बिगड़ गई। निजी अस्पताल से उसे दौसा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इमरजेंसी में चिकित्सक ने जांच के बाद महिला को मृत घोषित कर दिया। इस दौरान परिजनों का आरोप है कि निजी अस्पताल ने महिला को मृत अवस्था में रेफर कर दिया. इस संबंध में सिकंदरा के कृष्णा अस्पताल प्रबंधन से जुड़े विजेंद्र के मोबाइल नंबर पर फोन करने पर एक व्यक्ति ने खुद को कार्यालय का कर्मचारी बताते हुए कहा कि महिला शुक्रवार को इलाज के लिए आई थी, जिसे अस्पताल ने रेफर कर दिया. जांच के बाद डॉक्टर इलाज में लापरवाही का सवाल पूछते हुए व्यक्ति ने फोन काट दिया। इससे पूर्व बीती रात महिला की मौत को लेकर परिजनों ने दौसा जिला अस्पताल में जमकर हंगामा किया. इधर इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ ने महिला के शव को मोर्चरी में रखने से मना कर दिया था. इसके बाद मृतक के परिजनों ने हंगामा कर दिया। सूचना पर कोतवाली थाना पुलिस जिला अस्पताल पहुंची और घटना की जानकारी ली। इसकी जानकारी पीएमओ को दी गई, तब जाकर मामला शांत हुआ। शव को मोर्चरी में शिफ्ट करने को लेकर हुए विवाद में इमरजेंसी के सामने करीब चार घंटे तक हंगामा होता रहा। जहां पीएमओ डॉ. शिवराम मीणा के हस्तक्षेप के बाद शव को मोर्चरी में रखवाया गया। इसके बाद मामला शांत हो गया। इससे पहले ड्यूटी डॉक्टर ने शव को मोर्चरी में रखने से मना कर दिया।
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