Ajmer: मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार करें जैविक उर्वरकों का अधिकतम उपयोग
Ajmer अजमेर । किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार जैविक उर्वरकों का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा ने बताया कि भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने एवं उर्वरकों के उपयोग में मुख्य पोषक तत्वों अर्थात एनपीके (नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटेशियम)का अनुपात 4ः2ः1 बनाए रखने के लिए डीएपी के स्थान पर एसएसपी और यूरिया के अलावा एनपीके कॉम्पलेक्स उर्वरक के विभिन्न ग्रेडस यथा एनपीके 12ः32ः16, 20ः20ः0ः13, 19ः19ः19, 16ः16ः16, 15ः15ः15 आदि का उपयोग करना चाहिए। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से भारत सरकार स्तर से उर्वरकों पर देय अनुदान के वित्तीय भार एवं भूमि की उर्वरता पर विपरीत प्रभाव के मध्यनजर भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई पीएम प्रमाण (प्रोग्राम फॉर रीस्टोरेशन, अवेयरनेस, न्यूरिशमेंट एण्ड अमेलिओरेशन ऑफ मदर अर्थ) योजना को अपनाना चाहिए। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए जाने के लिए कार्बनिक खादों यथा गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, खली, प्रोम, फोम, एलफार्म, आर्गेनिक मैन्योर इत्यादि का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। उर्वरकों की लागत को कम करने एवं भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक न्यू एज तरल उर्वरक नैनो यूरिया, नैनो डीएपी का उपयोग करना चाहिए। किसान खेतों से मिट्टी नमूने की जांच के आधार पर बनाए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार भूमि में उर्वरकों का उपयोग करें।