शहर में 5 करोड़ की लागत से बन रहा अभेड़ा बॉटनिकल गार्डन, महकेगी फूलों की दुनिया

Update: 2022-12-26 14:02 GMT

कोटा न्यूज़: पेड़-पौधे और फूलों से मोहब्बत करने वालों को वन विभाग नए साल में खूबसूरत तोहफा देने जा रहा है। शहर के नांता क्षेत्र में करोड़ों की लागत से अभेड़ा बॉटनिकल गार्डन बनाया जा रहा है। यहां राजस्थान की जलवायु में पनपने वाले विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही उन्हें संरक्षित किया जाएगा। यहां रंग-बिरंगे खुशबूदार फूलों से सजी बगियों की दुनिया सजेगी। जहां कुछ पल बिताने पर मन को शांत और प्रसन्नचित्त कर देगी। फूलों से लदे पौधे देखने में जितने खूबसूरत लगते हैं, वहीं उनकी खुशबू मन को तरोताजा कर देती है। दरअसल, ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कोटा वन मंडल की ओर से अभेड़ा महल के पास तालाब के पीछे 50 हैक्टेयर में बॉटनिकल पार्क का निर्माण करवाया जा रहा है। पार्क का निर्माण 5 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। वर्तमान में करीब 25 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इस गार्डन के अंदर कै्रक्टस, फ्रूट, बटर फ्लाई, मेडिसिनल गार्डन सहित अलग-अलग थीम के गार्डन विकसित किए जाएंगे। शहरवासियों को जहां वनस्पतियों की जानकारी के लिए एक बेहतरीन स्थान मिल सकेगा, वहीं घूमने फिरने के लिए भी एक नया स्पॉट विकसित हो जाएगा।

इंटरपिटेक्शन हॉल बनेगा: पर्यटकों को बॉटनिकल पार्क में लगे फल, फूल, औषधीय पेड़-पौधों की जानकारी देने के लिए इंटरपिटेक्शन हॉल बनेगा। यहां हर पौधों की तस्वीर के नीचे बार कोड होगा, जिसे स्केन करते ही सभी तरह की जानकारियां प्राप्त की जा सकेगी।

रिर्सचर को मिलेगा लाभ: बॉटनिकल पार्क में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियां सहेजी जाएंगी। रिसर्चर को यहां आने पर विभिन्न प्रजातियों की वनस्पतियों के बारे में जानकारी मिलेगी। कैक्टस से लेकर अन्य कई दुर्लभ प्रजातियों के पौधे लगेंगे। जिससे यहां एक नया जंगल विकसित हो सकेगा। बायोलॉजिकल पार्क विजिट के साथ अभेड़ा महल देखने और बॉटनिकल गार्डन विजिट के साथ-साथ करणी माता मंदिर के दर्शन करने का मौका भी मिलेगा।

तापमान भी मेंटेन होगा: अधिकारियों का मानना है कि पार्क बनने के बाद आसपास के इलाकों में तापमान मेंटेन होगा। क्षेत्र में तापमान कम रहने से लोगों को राहत मिलेगी। पार्क में मल्टीपल एक्टिविटी होती रहेगी। कोटा में देशभर से कोचिंग करने के लिए बच्चे आते हैं जो 2 से 4 साल तक रहते हैं। स्टूडेंट्स व पर्यटकों के लिए यह जगह काफी पीसफुल रहेगी। साथ ही उनके स्ट्रेस को भी कम करेगी। वर्तमान में 80 लाख की लागत से 50 हैक्टेयर में 6-6 फीट उंची सुरक्षा दीवार बनाई गई है।

ये पौधे लगेंगे गार्डन में : बॉटनिकल गार्डन में हाड़ौती क्षेत्र की ऐसी वनस्पतियां लगाई जाएंगी, जो संकटग्रस्त हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा पलाश, खेजड़ी, अमलताश, बोरड़ी, कैर, जाल, रोहिड़ा, गोरख इमली,नीम, ऐलोविरा, कुमटा, गौंद, औषधीय पौधे, बम्बू, फल-फूल अश्वगंधा, प्रायोगिक तौर पर शहतूत व अन्य पौधे भी लगाए जाएंगे।

क्या होता है बॉटनिकल गार्डन: वन मंडल के डीएफओ जयराम पांडय ने बताया कि बॉटनिकल गार्डन एक ऐसा स्थान होता है, जहां लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों के संरक्षण के साथ ही उनका प्रदर्शन किया जाता है। बॉटनिकल गार्डन में पेड़ पौधों पर उनके वानस्पतिक नाम का भी उल्लेख किया जाता है ताकि गार्डन में घूमने आने वाले बच्चे व लोगों को पेड़-पौधों और वनस्पतियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल सके। इस गार्डन को टूरिज्म से जोड़ा जाएगा। ताकि, स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग भी यहां पहुंचकर दुलर्भ वनस्पतियां, पेड़-पौधों की जानकारी हासिल कर सके।

ज्ञान का खजाना वनस्पति उद्यान: वनस्पति उद्यान वैज्ञानिकों, वनस्पति शास्त्रियों, स्टूडेंट्स, रिसर्चर, बागवानों या ऐसे लोगों के लिए शैक्षणिक संस्थान है जो पौधों के जीवन में जागृत और प्रबुद्ध रुचि रखते हैं। वहीं, बॉटनिकल गार्डन की स्थापना पुस्तकालयों, जड़ी-बूटियों, प्रयोगशालाओं के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान के उद्देश्य से की जाती है। यहां पर विभिन्न पौधों के अलग-अलग ब्लॉक बनाएं जाएंगे। साथ ही विद्यार्थियों को पौधों की जानकारी मिलेगी।

ये भी होंगे आकर्षण का केंद्र:

ईको पार्क : अभेड़ा बॉटनीकल गार्डन में वन व वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए स्लोगन लिखित स्टेच्यु बनाए लगाए जाएंगे। पेड़-पौधे धरती का शृंगार, पर्यावरण स्वच्छ तो शहर स्वच्छ जैसे स्लोगन के माध्यम से पर्यटकों को प्रकृति के प्रति अवेयर किया जाएगा।

ईको टेल : गार्डन में करीब 2 किमी लंबा ईको टेल यानी फुटपाथ बनाया जाएगा। यहां आने वाले लोग पैदल चलकर गार्डन की सैर कर सके। लोगों को फल, फूल, छांवदार, औषधीय, सुगंधीत पौधे, टिम्बर व गोंद सहित विभिन्न किस्मों के पौधों की नर्सरी लगाई जाएगी। साथ ही किसानों को पौधों की उपयोगिता व महत्वता की जानकारी दी जाएगी ताकि वे अपने खेतों में इन पौधों को लगाकर इनका लाभ उठा सके।

बर्ड्स व्यू प्वाइंट : अभेड़ा वन क्षेत्र में 40 से 45 प्रकार की प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा है। इनके संरक्षण के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएंगे। सैलानियों के लिए बर्ड्स व्यू प्वाइंट विकसित किया जाएगा।

अवैध खनन पर लगेगा अंकुश: बॉटनिकल गार्डन बनने से वन मंडल की जमीन पर अवैध-खनन पर अंकुश लग सकेगा। अभी यहां खननकर्ता वन भूमि पर अवैध खनन करते रहते हैं। गार्डन बनने से जमीन की सुरक्षा भी हो सकेगी।

5 करोड़ से 50 हैक्टेयर में बनेगा गार्डन:

अभेड़ा महल के पास वन मंडल की 50 हैक्टेयर भूमि पर 5 करोड़ की लागत से बॉटनिकल पार्क का निर्माण करवाया जा रहा है। जहां हाड़ौती क्षेत्र में पाए जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की वनस्पतियां, पेड-पौधे व औषधीय लगाकर संरक्षित किए जाएंगे। इस गार्डन के अंदर कैक्टस, फ्रूट, बटर फ्लाई, मेडिसिनल गार्डन सहित अलग-अलग पेड़-पौधों की वाटिकाएं बनाई जाएंगी। कार्य दो चरणों में पूरा किया जाएगा। वर्तमान में 80 लाख की लागत से सुरक्षा दीवार सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। कार्य जारी रखने के लिए बजट की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार को लिखा है।

- जयराम पांडेय, डीएफओ वन मंडल कोटा

अभेड़ा में 60 वनस्पतियां औषधी गुणों से भरपूर:

कोटा भौगोलिक स्थिति और जल उपलब्धता से जैव विविधता से भरपूर है। जेडीबी कॉलेज के वनस्पति शास्त्र विभाग की सह आचार्य डॉ. जायसवाल के निर्देशन में अनीता मालव इसी वन क्षेत्र में शोघ कर रही हैं। उन्होंने रिसर्च के दौरान 250 वनस्पतियां रिकॉर्ड की हैं, जिनमें से 60 वनस्पतियां औषधीय महत्व से भरपूर है। ये ऐसी वनस्पतियां हैं, जिनका आसपास रहने वाले पशुपालक व रैबारी जनजातियों के लोग कई वर्षों से उपयोग कर रहे हैं। चिंता का विषय है कि इन पौधों की व्यवसायिक कृषि न होन से बेशकीमती पौधे विलुप्त होते जा रहे हैं।

- पूनम जायसवाल, सह आचार्य वनस्पति शास्त्र, जेडीबी कॉलेज

अप्रवासी पक्षियों कीपसंदीदा जगह है अभेड़ा:

अभेड़ा महल वन क्षेत्र में वर्षभर पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है। रियासतकाल से ही यहां देसी-परदेसी पक्षियों का आना-जाना लगा रहा है। यह क्षेत्र अप्रवासी पक्षी का पसंदीदा स्थल रहा है। लंबे समय से यहां बर्ड प्वाइंट की मांग की जा रही थी। यहां रुडी शेल्डक, कोमडक बार, हैडेज गूज, ग्रेलेक गूज, नॉर्दन पिनटेल, नॉर्दन शावलर गेडवेल, कॉमन टील, कॉटन टील, ब्लैक काइट, पर्पल हेरॉन, कॉमन मुरहेन, पेंटेड स्टोर्क, ओपन बिल, आईबीज ब्लैक हैडेड, सिल्वर बिल, रेड मुनिया, कॉमन स्टार्लिंग सहित कई पक्षियों की मौजूदगी है।

- एएच जैदी, नेचर प्रमोटर

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