घग्घर नदी बहाकर लाई 600 करोड़ का कारोबार, बढ़ेगी चावल की पैदावार

Update: 2023-08-18 17:27 GMT
हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ बात कर रहे हैं घग्घर नदी की। जो इस बार अपने साथ इतना पानी और उपजाऊ मिट्‌टी बहाकर लाई है कि राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के धान किसानों के चेहरे खिल गए हैं। राजस्थान का श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिला। कुछ दिन पहले तक यहां बाढ़ के हालात थे। हिमाचल से निकलने वाली घग्घर नदी हरियाणा से होते हुए यहां आती है। यहां पहुंचने तक इसका पानी इतना कम हो चुका होता है कि यह गायब जैसी ही हो जाती है। इसीलिए इसे यहां नाली कहते हैं, लेकिन इस मानसून में जब घग्घर नदी ने राजस्थान में प्रवेश किया तो बाढ़ के हालात पैदा हो गए। ऐसे कि चारों ओर पानी ही पानी हो गया। कई लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। कई गांव पानी से घिर गए। सबको एक ही चिंता थी कि अब कहां जाएंगे, लेकिन घग्घर नदी का यही पानी अब इस इलाके लिए वरदान बन गया है। भरपूर पानी, मौसम का साथ और किसानों की उम्मीदें बताती हैं कि पिछले 28 साल में ऐसा पहली बार होगा कि यहां धान की बंपर पैदावार होगी और इसका कारोबार 600 करोड़ के पार पहुंच सकता है। अब तक यह करीब 450 करोड़ रहता आया है।
खेतों में धान की रोपाई कर रहे किसानों के बीच हमारी बात हुई सूरतगढ़ के पास गांव 68 GB (2) क्षेत्र के रहने वाले किसान जसवंत सिंह चंदी से। जसवंत सिंह बताते हैं- हम लोग हमेशा से चावल यानी धान की खेती करते आ रहे हैं। हमेशा यही उम्मीद रहती है कि घग्घर पानी में थोड़ा बहुत पानी आ जाए तो काम चल जाए। हम हमेशा मानसून से पहले ही सरकार से यह मांग करते थे कि नदी का पानी अनूपगढ़ से आगे अंतिम छोर भेड़ताल तक पहुंचाया जाए। वे बताते हैं कि हरियाणा के सिरसा में ओटू हेड बनाए जाने के बाद से पानी की आवक बहुत कम हो गई है। इसलिए पानी के लिए हमें हर साल संघर्ष करना पड़ता है। इस बार देखिए, हमारी चिंताए अपने आप दूर हो गई हैं। हमने उनसे पूछा इससे क्या फायदा होगा? जसवंत सिंह बताते हैं- इस बार घग्घर नदी में बहुत पानी आया है। इतना कि अगले कुछ साल के लिए कोई टेंशन नहीं होगी। इस बार उत्पादन भी खूब होगा। सूरतगढ़ से आगे जैतसर, श्रीविजयनगर, रामसिंहपुर और अनूपगढ़ के क्षेत्र में घग्घर नदी के आसपास धान की खेती ही अधिक की जाती है।
13 GB के एक और किसान बुधराम बिश्नोई से मिली। बुधराम बताते हैं- इस इलाके के लोगों को नाली बेड एरिया में बरसाती पानी का बेसब्री से इंतजार रहता है। भूमि के जल को तो यह पानी रिचार्ज करता ही उन्होंने बताया कि धान की फसल को पानी अधिक चाहिए। इतना पानी अगर ट्यूबवैल से सिंचाई करें तो उनका बिजली खर्चा ज्यादा हो जाता है। अगर इंजन से किया जाए तो डीजल का खर्चा अधिक बैठ जाता है। इसी तरह 22 GB के किसान और जल उपभोक्ता संगम के अध्यक्ष गुरप्रीत पड्डा ने बताया- इस बार घग्घर नदी में आए पानी को करणी जी वितरिका में चलाया गया। इसका फायदा यह हुआ कि जिस करणी जी वितरिका में टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता था वहां भी इस बार पानी पहुंचा है। यह नदी ही गंगानगर और हनुमानगढ़ को धान का कटोरा बनाती है। नदी के पानी से इलाके में सरसों, नरमा, गेहूं और चावल की बंपर पैदावार होती है। घग्घर नदी (नाली बेड) की बदौलत ही दोनों जिलों में करीब 50 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में धान की खेती होती है।
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