Baran: संभाग स्तरीय आयुर्वेद महोत्सव एवं आरोग्य मेले का भव्य शुभारंभ

Update: 2025-02-07 10:37 GMT
Baran बारां । जिले में आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित संभाग स्तरीय आयुर्वेद महोत्सव एवं आरोग्य मेले का शुक्रवार को भव्य शुभारंभ किया गया। जिला कलक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर ने फीता काटकर मेले का भव्य शुभारंभ किया। इस अवसर पर पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन ने अध्यक्षता की, जबकि समाजसेवी ओमप्रकाश पारेता, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं विद्वान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह मेला 10 फरवरी तक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खेल संकुल, कोटा रोड, बारां में प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक जारी रहेगा। उद्घाटन के पश्चात जिला कलक्टर ने मेले में लगे विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित चिकित्सा एवं औषधि वितरण केंद्रों का अवलोकन किया और चिकित्सा विशेषज्ञों से चर्चा की। कलक्टर तोमर ने स्टॉल संचालकों से विभिन्न उपचार पद्धतियों, उपलब्ध औषधियों और उनके प्रभावों की जानकारी ली। उन्होंने विशेष रूप से पंचकर्म, जलौका अवचारण, अग्निकर्म, क्षारसूत्र चिकित्सा और होम्योपैथिक उपचार से जुड़ी व्यवस्थाओं को देखा।
जिला कलक्टर ने कहा कि आयुर्वेदिक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली समाज को स्वस्थ जीवन प्रदान करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि यह पद्धति सस्ती, सरल और सुलभ होने के साथ-साथ रोगों से बचाव व उपचार में प्रभावी है उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए संभाग स्तर पर आरोग्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से इस मेले में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर निशुल्क चिकित्सा सेवाओं का लाभ
उठाने की अपील की।
अतिरिक्त निदेशक डॉ. मोहन लाल वर्मा ने कहा कि आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां न केवल रोगों का उपचार करती हैं, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती हैं। मेला प्रभारी डॉ. जितेंद्र सिंह हाडा ने जानकारी दी कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आयुष पद्धतियों का प्रचार-प्रसार एवं जनजागरूकता बढ़ाना है। मेले में चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा निशुल्क चिकित्सा परामर्श, इलाज एवं औषधियों का वितरण किया जाएगा।
डॉ. महिमा सनाढ्य ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता की जानकारी देते हुए कहा कि होम्योपैथी प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर की आत्म-उपचार क्षमता को बढ़ाकर रोगों को जड़ से समाप्त करने में सहायक होती है। डॉ. सनाढ्य ने बताया कि यह पद्धति क्रोनिक बीमारियों जैसे एलर्जी, अस्थमा, माइग्रेन, जोड़ों का दर्द, त्वचा रोग, मानसिक तनाव, पाचन संबंधी समस्याएं आदि के उपचार में बेहद कारगर है। यह न केवल रोगों का उपचार करती है बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती है।
विशेष कार्यक्रम एवं प्रदर्शनियां
प्रत्येक सुबह 6ः30 से 7ः30 बजे तक योगाभ्यास, जबकि सायं 6 से 8 बजे तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 10 फरवरी को समापन समारोह आयोजित होगा। इस अवसर पर सहायक नोडल अधिकारी डॉ. वीरेन्द्र कुमार सोहाया एवं सहायक निदेशक डॉ. अजय कुमार नागर सहित अन्य मौजूद रहे।
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