रोजाना प्रति व्यक्ति पैदा कर रहा 500 ग्राम कचरा

Update: 2023-06-13 13:15 GMT

कोटा: एक तरफ नगर निगम शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की दिशा में प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ शहर में हर व्यक्ति पहले से अधिक रोजाना करीब 500 ग्राम कचरा पैदा कर रहा है। जिससे आबादी बढ़ने से कोटा शहर में रोजाना करीब 400 से 450 टन कचरा निकल रहा है। संभाग मुख्यालय होने से कोटा शहर का विकास व विस्तार काफी तेजी से हो रहा है। शिक्षानगरी होने से यहां देशभर से विद्यार्थी मेडिकल व इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए भी आ रहे हैं। स्थानीय लोगों के अलावा देशभर से आए करीब दो लाख कोचिंग विद्यार्थी भी यहां रह रहे हैं। आबादी बढ़ने के साथ ही यहां घरों से निकलने वाले कचरे की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार कोटा में करीब 20 साल पहले नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड बना था। उस समय वहां शहर से प्रतिदिन करीब 200 मेट्रिक टन कचरा पहुंच रहा था। जबकि वर्तमान में कचरे की मात्रा करीब दो गुनी होकर 400 से 450 टन रोजाना हो गई है। इसका कारण जनसंख्या के साथ ही लोगों का लिविंग स्टेंडर्ड बढ़ना माना जा रहा है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार कोटा में पहले जहां प्रति व्यक्ति निकलने वाले कचरे की मात्रा 350 से 400 ग्राम मानी जाती थी। वह नए मापदंड के अनुसार करीब 100 ग्राम बढ़कर 500 ग्राम हो गई है।

ढाई गुना बढ़ी वार्डों की संख्या

कोटा में पहले एक ही नगर निगम और वार्डों की संख्या 65 थी। वहीं परिसीमन के बाद वर्तमान में दो नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण हो गई है। जिससे वार्डों की संख्या भी बढ़कर 150 हो गई है। कोटा उत्तर में 70 व कोटा दक्षिण में 80 वार्ड हो गए हैं। नगर निगम द्वारा शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने और कचरा सड़क पर नहीं डले इसके लिए टिपरों के माध्यम से घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है। कोटा उत्तर में हर वार्ड में 3 और कोटा दक्षिण में हर वार्ड में 2 टिपरों के माध्यम से घर-घर से कचरा एकत्र किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कोटा उत्तर में रोजाना 200 से 250 टन और कोटा दक्षिण निगम में रोजाना 200 टन कचरा निकल रहा है।

पुराने का निस्तारण, नए का तैयार हो रहा पहाड़

नगर निगम के नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में जहां करीब 20 साल से अधिक समय से जमा पुराने कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया था। उस कचरे के पहाड़ में हर साल आग लगने की घटना होती थी। जिससे निकलने वाली जहरीली गैस व धुएं से आस-पास के क्षेत्र के लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता था। लोगों की शिकायत पर एनजीटी ने भी निगम को पुराने कचरे के निस्तारण के निर्देश दिए थे। नगर निगम की ओर से उस पुराने कचरे के निस्तारण के लिए टेंडर निकाला। जिसके तहत करीब 16 करोड़ रुपए में कचरे के निस्तारण का ठेका दिया गया। संवेदक फर्म द्वारा पहले फेज में 5 लाख क् यूविक घन मीटर कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। यह काम एक साल में पूरा करना है। पिछले काफी समय से चल रहे काम के दौरान कचरा काफी कम हो गया है। संवेदक द्वारा उस पुराने कचरे की छटनी कर तीन तरह से कचरे को बेचा जा रहा है। इधर पुराने कचरे का तो निस्तारण किया जा रहा है। जबकि शहर से रोजाना निकल रहे करीब 400 टन से अधिक नया कचरा फिर से उसी ट्रेचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है। जिससे वहां कचरे का नया पहाड़ खड़ा हो रहा है।

आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन

कोटा में निकलने वाले कचरे का निस्तारण पहले जहां अस्घायी कचरा ट्रांसफर स्टेशनों के माध्यम से किया जा रहा था। वहीं अब उसके स्थान पर आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनने लगे हैं। कोटा दक्षिण में किशोरपुरा व विश्वकर्मा नगर में बने आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशनों से कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। यहा से कचरा बंद कंटेनरों से नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में पहुंचाया जा रहा है। हालांकि कोटा उत्तर निगम में स्टेशन रोड खेड़ली फाटक व उम्मेदगंज में आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन का निर्माण कार्य किया जा रहा है। कोटा उत्तर से फिलहाल डम्पर व टैक्ट्रर ट्रॉलियों से ही कचरा ट्रेचिंग ग्राउंड पहुंचाया जा रहा है।

अधिकतर सामान पैकिंग में मिलने लगा

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार प्रति व्यक्ति निकलने वाले कचरे की मात्रा का आंकलन व्यक्ति के लिविंग स्टैंडर्ड से किया जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कोटा की जनसंख्या करीब 10 लाख थी। जो 2021 के अनुसार 15 लाख होने का अनुमान है। ऐसे में शहर में लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड बढ़ा है। जहां वर्तमान में अधिकतर घरेलू सामान पैकिंग में मिलने लगा है। अधिकतर लोग होटल व रेस्टोरेंट से आॅनलाइन खाना मंगवाने लगे है। वह भी पैकिंग में आने लगा है। इसके अलावा घरों में गीला सूखा मिलाकर कचरे की मात्रा का आंकलन किया जा रहा है। हालांकि शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में यह मात्रा काफी कम है। इसका कारण वहां के लोग पैकिंग के सामान का अधिक उपयोग नहीं करते हैं।

बरसाती नालों की चल रही सफाई

नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से वर्तमान में बरसाती नालों की सफाई का कार्य किया जा रहा है। दक्षिण में चैन माउंटेंड से नालों की सफाई शुरू हो गई है। जबकि कोटा उत्तर में फिलहाल जेसीबी से ही सफाई की जा रही है। इस माह के अंत तक बरसात आने की संभावना है। निगम द्वारा 30 जून तक बरसाती नालों की सफाई का दावा किया जा रहा है।

इनका कहना है

ट्रेचिंग ग्राउंड के पुराने कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। काफी कचरा साफ हो गया है। यही कारण है कि इस बार गर्मी में वहां आग लगने की अधिक घटनाएं नहीं हुई। नए आने वाले कचरे के निस्तारण के भी प्रयास किए जा रहे हैं। स्वच्छता सवेरक्षण संबंधी निगम ने अपने सभी काम पूरे कर लिए हैं। नियमित काम किया जा रहा है। नालों की सफाई का काम तेजी से चल रहा है। सर्वेक्षण टीम के आने संबंधी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।

- मंजू मेहरा, महापौर, नगर निगम कोटा उत्तर

शहर को स्वच्छ बनाना सबकी जिम्मेदारी

कोटा शहर स्मार्ट सिटी व पर्यटन नगरी बनने जा रहा है। यहां देश विदेश से पर्यटक आएंगे। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि शहर को स्वच्छ रखे। इसके लिए घरों में कम के कम कचरा निकाले। ऐसा तभी होगा तब हम प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैले व पैकिंग के सामान का उपयोग कम करेंगे।

- संगीता मालवीेय, दादाबाड़ी

कोटा को सफाई में नम्बर वन बनाना है

कोटा में दो नगर निगम बन गए हैं। वार्ड बढ़ने से पार्षद और निगम के सफाई कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ी है। सभी प्रयास करेंगे तो कोटा को सफाई में नम्बर वन बनाया जा सकता है। इसके लिए ऐसी चीजों का उपयोग किया जाए। जिससे कचरा कम से कम निकले। हर घर से यदि कचरा कम निकलेगा और उसे सड़कों पर नहीं डाला जाएगा तो शहर साफ नजर आएगा।

- राधेश्याम नागर, भीमगंजमंडी

लोगों को जागरुक होना पड़ेगा

देश में इंदौर शहर सबसे साफ है। इसका कारण वहां के लोग सफाई के प्रति जागरुक हैं। वे कम से कम कचरा निकाल रहे हैं। कोटा के लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। नगर निगम का सहयोग करने के लिए सभी को ऐसे सामानों का उपयोग करना होगा जिससे कचरा कम से कम निकले। तभी शहर को भी साफ रखा जा सकतो है।

- देवेन्द्र शर्मा, छावनी 

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