बिगड़ी व्यवस्था, जयपुर बाइपास पर कट बंद होने से रोजाना 10 हजार लोग परेशान
दौसा। दौसा चार अगस्त की सुबह पुलिस लाइन चौराहे पर दो बसें टकरा गईं। इस हादसे में 18 यात्री घायल हो गए. इसके बाद पुलिस लाइन चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाने के साथ ही पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए। वहीं, जयपुर से नेशनल हाईवे के जरिए शहर में प्रवेश का रास्ता 10 माह पहले बंद कर दिया गया था। तर्क दिया गया कि इससे दुर्घटना का खतरा है। इसमें खास बात यह है कि वर्ष 2007 में फोरलेन का काम पूरा होने के बाद से इन 16 सालों में जयपुर बाइपास पर एक भी दुर्घटना नहीं हुई है। इसके बावजूद बाइपास कट बंद होने से रोजाना 10 हजार से ज्यादा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सैथल पुलिया के रास्ते शहर में प्रवेश करने के लिए लोगों को दो किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि सुरक्षा जरूरी है, लेकिन सड़क जाम करना सौ फीसदी गलत है. पुलिस लाइन चौराहे व कलक्ट्रेट सर्किल की तरह जयपुर बाइपास कट पर भी सुरक्षा की दृष्टि से बैरिकेड्स लगाकर पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं। हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक लाइटें लगवाने के साथ अंडरपास बनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 21 के माध्यम से शहर में तीन प्रवेश बिंदु हैं। पहला जयपुर बाईपास, दूसरा कलेक्टोरेट सर्कल और तीसरा आगरा बाईपास। इसमें खास बात यह है कि दुर्घटना की दृष्टि से कलक्ट्रेट सर्किल और आगरा बाइपास से शहर में प्रवेश का रास्ता खतरनाक है, जहां हर पल दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है। पिछले महीने 22 जुलाई को कलक्ट्रेट सर्किल पर भीषण हादसा हुआ था, जब एक बेकाबू ट्रेलर ने तीन लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। इस हादसे में एक निजी कॉलेज के को-ऑर्डिनेटर की दबकर मौत हो गई. अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के जिला सचिव रमेश चंद विजय का कहना है कि लापरवाही के कारण शहर की सड़कों पर भी दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उस सड़क को ही बंद कर दिया जाए. हां, अगर किसी सड़क पर दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं तो वहां स्पीड ब्रेक, ट्रैफिक लाइट, अंडरपास और ब्रिज बनाए जा सकते हैं। उधर, संगठन मंत्री एडवोकेट कजोड़ मल शर्मा का कहना है कि प्रशासन का काम लोगों को रास्ता देना है न कि किसी दुर्घटना की मनगढ़ंत आशंका के चलते रास्ता बंद करना। उनका कहना है कि जयपुर बाइपास से रोजाना 10 हजार से ज्यादा लोग और सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, जिन्हें जयपुर से लौटते समय सैथल पुलिया से शहर पहुंचने के लिए 2 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है।