रिटर्न भरने के 4 साल के अंदर इनकम टैक्स क्यों भेजता है धारा 148 का नोटिस

Update: 2023-06-20 17:58 GMT

चंडीगढ़। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इंडिया की सेक्टर 35 चंडीगढ़ ब्रांच ने सेक्शन 148 ऑफ इनकम टैक्स एक्ट के नोटिस की कम्प्लाई रिप्लाई और अवॉयड करने को लेकर सेमिनार का आयोजन किया।

चंडीगढ़ ब्रांच के चेयरमैन विशाल पुरी ने बताया की सेमिनार की मुख्य अतिथि सुनीता बैंसला डीजे एचडी न्यूदिल्ली व अमरपाली दास गेस्ट ऑफ ऑनर रहीं। सेमिनार में ई-वेरिफिकेशन के चलते सेक्शन 148 का नोटिस को लेकर मुख्य अतिथि बैंसला ने चंडीगढ़ के लगभग 200 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के सवालों का जवाब दिया।

उन्हें टैक्सपेयर्स को अपनी ईमेल व पोस्ट पर लगातार नोटिस के इंटीमेशन को देखते रहने को आगाह किया। उन्होंने कहा कि बड़ी आसानी से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आई हुई ई-वेरिफिकेशन की इंटीमेशन को कम्प्लाई और रिप्लाई करने से मामला सुलझ सकता है। नोटिस से बच सकते हैं।

क्यों जारी होता है धारा 148 का नोटिसः

धारा 148 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, जब आयकर विभाग को लगता है कि टैक्सपेयर ने टैक्स से बचने के लिए आय के सभी स्रोतों का खुलासा नहीं किया है। अगर आय से बचने के लिए 1 लाख रुपये की राशि रही हो तो असेसमेंट ईयर के आखिर से चार साल के भीतर विभाग द्वारा नोटिस भेजा जा सकता है।

अगर आय से बचने वाली राशि 1 लाख रुपये से अधिक है या अगर भारत के बाहर स्थित किसी भी संपत्ति से संबंधित आय लेकिन टैक्स के लिए शुल्क योग्य है, और छुपाया गया हो तो छह साल के भीतर एक नोटिस भेजा जा सकता है।

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