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पठानकोट। पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेलवे सेक्शन पर चक्की पड़ाव रेलवे पुल का एक बड़ा हिस्सा चक्की दरिया में डूब गया । इससे देश के विभिन्न हिस्सों को हिमाचल से जोड़ने वाला एकमात्र रेल मार्ग ठप हो गया। पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेल लाइन में आई बाढ़ की जांच के लिए गठित एक उच्च स्तरीय कमेटी ने रेलवे के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है कि अवैध खनन के कारण पुल बह गया था।
रिपोर्ट में माना गया है कि पुल के बहाव का कारण 2013 में रेलवे द्वारा पुल के पिल्लरों को मजबूत बनाने के लिए बनाया गया कंकरीट डैम है जिससे पानी के कुदरती बहाव के कारण रुकावट आई है। 500 मीटर चौड़े पुल में सिर्फ 50 मीटर चौड़ाई में ही पानी का पूरा प्रवाह पंजाब की तरफ केंद्रित हो गया, जिससे पिल्लर कमजोर हो गए। रेलवे फिरोजपुर की डॉ. सीमा शर्मा के मुताबिक अवैध खनन के कारण यह पुल बह गया था।
सूत्रों के मुताबिक पठानकोट के ए.डी.सी. (जनरल) अंकुर जीत के नेतृत्व वाली जांट टीम में सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (एस.आई.) हाइवे अथारिटी एस.ई.पी.डब्ल्यू.डी. (बी. एंड आर.), रिसर्च प्रोजेक्ट सिंचाई अमृतसर के वैज्ञानिक प्रबोध चंद शामिल थे। इस मामले की जांच रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेज दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 94 वर्ष पुराना चक्की रेलवे पुल के कुछ पिल्लर कमजोर होने पर 2011 में बंद कर दिया गया था और 2013 में मुरम्मत के बाद इसे फिर से शुरू दिया गया था। पुल के पिल्लरों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने 50 मीटर लंबा कंकरीट बांध का निर्माण किया, जिससे दरिया का तल ऊंचा हो गया और पिल्लरों की मोटाई बढ़ गई।