रिश्वतखोरी का खेल, दिल्ली से आने वाले वाहनों पर पंजाब का नंबर लगाने में चल रहा है
दिल्ली में नया वाहन खरीदने के 10 साल बाद वह ऑन रोड नहीं चल सकता। यही वजह है कि दिल्ली के वाहन पंजाब में धड़ाधड़ आकर बिकते हैं।
आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सरकारी कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार पर सर्जिकल स्ट्राइक चल रही है। खासकर आरटीए व एमवीआई कार्यालय टारगेट पर हैं, लेकिन पंजाब में एक बड़ा गोरखधंधा चल रहा है, वह है दिल्ली से गाड़ियों को खरीदकर पंजाब का नंबर लगाकर बेचने का। इसमें तमाम अधिकारियों के अलावा दलाल व कार डीलर वारे न्यारे कर रहे हैं।
दरअसल, दिल्ली में नया वाहन खरीदने के 10 साल बाद वह ऑन रोड नहीं चल सकता। यही वजह है कि दिल्ली के वाहन पंजाब में धड़ाधड़ आकर बिकते हैं। वाहन को एक प्रकिया पूरी कर पंजाब का नंबर लगाया जाता है, जिससे मार्केट में वाहन का दाम पंजाब का नंबर होने के कारण बढ़ जाता है।
यह प्रकिया है..
1- दिल्ली से वाहन काफी सस्ते मिलते हैं, जिन पर डीएच नंबर होता है। ज्यादातर ट्रक, इनोवा, छोटे हाथी, फार्च्यूनर वाहन होते हैं। इन वाहनों को सस्ते भाव से खरीदा जाता है और आरटीए कार्यालय में आवेदन कर पंजाब का नंबर लगवाया जाता है।
2- दिल्ली परिवहन विभाग की एनओसी के साथ सेल फार्म लगते हैं, जिसकी फाइल तैयार कर आवेदक पंजाब का नंबर लगाने की गुजारिश करता है।
3- फाइल आरटीए विभाग के उस क्लर्क के पास जाती है, जो विभाग के उच्चाधिकारी का खासमखास होता है। वह फाइल को क्लीयर कर एसओ यानी एकाउंटेंट के पास भेजता है।
4-अकाउंटेंट गाड़ी का मॉडल नंबर देखकर सरकारी फीस बनाता है। यह सब अकाउंटेंट पर होता है कि वह कितनी फीस बना रहा है। सरकार का नियम है कि अगर वाहन 9 साल पुराना है तो उस पर वाहन की मौजूदा कीमत का 20 फीसदी टैक्स के रूप में जमा करवाना होगा। अगर वाहन छह से नौ साल के बीच है तो 40 फीसदी और अगर तीन से छह साल के बीच है तो 60 फीसदी और अगर तीन से नीचे है तो 80 फीसदी वाहन की कीमत का टैक्स पंजाब परिवहन विभाग को जमा करवाना होता है। विभाग के कर्मचारी मिलीभगत से टैक्स को कम बनाते हैं और जितना बचा लेते हैं, उसका आधा पैसा कर्मचारी की जेब में जाता है।
5- इसके बाद डिस्कलेमर तैयार होता है और क्लर्क द्वारा बनाई गई फीस ऑनलाइन जमा होती है।
6- फाइल के साथ 25 नंबर फार्म लगता है, उस पर एमवीआई तीन हजार की रिश्वत लेकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते हैं कि वाहन पांच साल अभी चलाया जा सकता है।
7- फाइल एमवीआई से फिट करार देने के बाद आरटीए के पास आती है और पंजाब का नंबर अलाट कर दिया जाता है। इस पूरी प्रकिया के लिए 8 हजार की रिश्वत दलालों द्वारा वाहन मालिकों से ली जाती है। इसमें तीन हजार एमवीए के लिए व 5 हजार आरटीए कार्यालय में जाते हैं। इसके अलावा अगर क्लर्क सरकारी फीस कम बनाता है तो उसकी भी बांट आधी-आधी होती है।
हर माह करीब 7 हजार वाहन आते हैं दिल्ली से
हर माह करीब सात हजार वाहन पंजाब में बिक्री के लिए दिल्ली से आते हैं, जिसको जिला स्तर पर आरटीए कार्यालय में पंजाब नंबर के लिए पंजीकृत करने के लिए भेजा जाता है।
विजिलेंस की पैनी नजर
एसएसपी विजिलेंस दलजिंदर सिंह ढिल्लों का कहना है कि विजिलेंस ब्यूरो भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है। पंजाब सरकार की तरफ से सरकारी कार्यालयों में करप्शन को खत्म करने के लिए हर संभव यत्न किए जा रहे हैं। आरटीए व एमवीआई कार्यालय पर विजिलेंस की पैनी नजर है।
मालवा के एक जिले में खूब रजिस्टर हुई दिल्ली की गाड़ियां
मालवा के एक जिले में धड़ाधड़ दिल्ली नंबर के वाहन पंजाब नंबर के लिए रजिस्टर्ड किए गए। इसकी अंदरखाते जांच भी शुरू हो चुकी है कि मालवा के एक खास जिले को माफिया ने क्यों चुना