जालंधर। कभी समय था जब जालंधर में बरसाती सीजन के दौरान या तुरंत बाद हर वार्ड में फॉगिंग हुआ करती थी और बड़ी-बड़ी गाड़ियां अपने पीछे डीजल का ड्रम रखकर और बड़ी-बड़ी मशीनों से मेन सड़कों, गलियों, चौराहों पर धुआं फैंकते जाती थीं। धीरे-धीरे यह सिलसिला खत्म होता नजर आ रहा है। अब नगर निगम ने हाथ से चलने वाली छोटी-छोटी मशीनों की खरीद कर रखी है जिन्हें दोपहिया वाहन के सहारे गलियों में ले जाकर फॉगिंग की खानापूर्ति की जा रही है।
नगर निगम की इसी नालायकी के कारण इस बार शहर में डेंगू पूरी तरह फैल चुका है और निगम सीमा के अंदर ही डेंगू के पॉजिटिव मरीजों की संख्या 150 के करीब आंकी जा रही है। लापरवाही की हद यह है कि जालंधर में 4 विधायकों के अलावा तीन मेयरों समेत 80 पार्षद हैं परंतु किसी ने भी इस बार फॉगिंग को गंभीरता से नहीं लिया। शहर में डेंगू फैलने के बावजूद आज तक किसी पार्टी के किसी नेता ने भी डेंगू या फॉगिंग को लेकर कोई बैठक नहीं की और न ही कोई निर्देश दिए। हाथ से चलने वाली मशीनें जिनके सहारे नगर निगम शहर में फागिंग करवा रहा है ।
फॉगिंग करने वाली सातों मशीनें वर्कशॉप में खड़ी-खड़ी कबाड़ बनीं
पिछले समय दौरान जालंधर निगम ने लाखों रुपए खर्च करके फॉगिंग करने हेतु सात बड़ी गाड़ियों की खरीद की थी जिनमें से 5 गाड़ियां 60 लीटर कैपेसिटी वाली थीं और दो बड़ी गाड़ियों की क्षमता 200 लीटर तक थी। यह सातों गाड़ियां जब शहर में निकलती थीं तो मेन सड़कों के अलावा हर खुली जगह पर धुआं ही धुआं हो जाता था और फॉगिंग का असर देर तक दिखता भी था परंतु छोटी मशीनों से केवल गलियों में ही फॉगिंग हो सकती है, मेन सड़कों या खुले स्थानों पर इसका कोई असर नहीं रहता। निगम की सातों बड़ी गाड़ियां इस समय खराब पड़ी हैं और निगम की वर्कशॉप में कबाड़ बन चुकी हैं जिन्हें अब स्क्रैप के भाव पर ही बेचा जा सकेगा। लापरवाही की हद यह है कि किसी भी निगम अधिकारी ने इन गाड़ियों को समय रहते रिपेयर करवाने की जरूरत ही नहीं समझी।